पटनाः Aaj Ka Panchang:आज 18 मई दिन बुधवार है. आज ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है. बुधवार के दिन आप को प्रात:काल में स्नान के बाद गणेश जी पूजा करनी चाहिए.जानिए पञ्चांग में क्या है खास, बता रहें हैं आचार्य हिमांशु उपमन्यु.


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तिथि  तृतीया  02:51 AM
नक्षत्र  ज्येष्ठा  10:01 AM


करण :
           वणिज  01:23 PM
           विष्टि  01:23 AM


पक्ष  कृष्ण  
योग  सिद्ध  09:54 PM
वार  बुधवार  


सूर्योदय  05:23 AM  
चन्द्रोदय  09:56 PM  


चन्द्र राशि  वृश्चिक  


सूर्यास्त  06:46 PM  
चन्द्रास्त  07:15 AM  


ऋतु  ग्रीष्म  


हिन्दू मास एवं वर्ष    
शक सम्वत  1944  
शुभकृत
कलि सम्वत  5124  
दिन काल  01:36 PM  
विक्रम सम्वत  2079  
मास अमांत  वैशाख  
मास पूर्णिमांत  ज्येष्ठ  


शुभ समय    


आज कोई अभिजित मुहूर्त नहीं है


अशुभ समय    


दुष्टमुहूर्त  11:53 AM - 12:42 PM
कंटक  05:18 PM - 06:13 PM


यमघण्ट  08:10 AM - 09:05 AM
राहु काल  12:13 PM - 01:55 PM


कुलिक  11:53 AM - 12:46 PM
कालवेला या अर्द्धयाम  06:21 AM - 07:15 AM


यमगण्ड  07:15 AM - 08:57 AM
गुलिक काल  10:37 AM - 12:19 PM


दिशा शूल    
दिशा शूल  उत्तर  


ताराबल  
अश्विनी, भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती  


चन्द्रबल  
वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ


जानिए क्या है ज्येष्ठा नक्षत्र
ज्येष्ठा नक्षत्र को सबसे बड़ा समझा जाता है. ज्येष्ठ का अर्थ भी सबसे बड़ा होता है. इसके नाम पर ही हिन्दी माह का नाम ज्येष्ठ पड़ा है. तीन तारों से बनी आकृति को दैवीय शक्ति का रक्षा कवच माना जाता है. कुछ विद्वानों ने इसे आदिशक्ति या मां दुर्गा के कान का झुमका माना है. ज्येष्ठा नक्षत्र जगत में व्याप्त शक्तियों के नियंत्रण का प्रतीक है. कवच का सीधा संबंध सुरक्षा से होता है. इसको छतरी से भी दर्शाया गया है. छतरी धूप, वर्षा से भी बचाव करती है. यानी यह छाया देती है और तपन से बचाती है. ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता देवराज इंद्र हैं और बहुत अच्छी फसल के लिए पर्याप्त पानी हो इसके लिए इंद्र की कृपा चाहिए होती है. यह नक्षत्र वृश्चिक राशि में पड़ता है इसलिए जिन लोगों की वृश्चिक राशि है उनका ज्येष्ठा नक्षत्र हो सकता है. 


सिद्धि योग : वार, नक्षत्र और तिथि के बीच आपसी तालमेल होने पर सिद्धि योग का निर्माण होता है. उदाहरण स्वरूप सोमवार के दिन अगर नवमी अथवा दशमी तिथि हो एवं रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, श्रवण और शतभिषा में से कोई नक्षत्र हो तो सिद्धि योग बनता है.


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