Agnipath Protest: भारत में विरोध! इन देशों में पहले से ही लागू `अग्निपथ`, जानें किस देश में क्या हैं नियम
Agnipath Protest: सैनिकों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से अग्निपथ योजना के नोटिफिकेशन के जारी होने के बाद से देशभर में इसको लेकर बवाल जारी है.
पटना: Agnipath Protest: सैनिकों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से अग्निपथ योजना के नोटिफिकेशन के जारी होने के बाद से देशभर में इसको लेकर बवाल जारी है. इस योजना का सबसे ज्यादा असर बिहार और बिहार से सटे यूपी के पूर्वांचल के जिलों में देखने को मिल रहा है. इस योजना का बवाल कुछ ऐसा हुआ कि इसमें सरकारी और आम संपत्तियों को उपद्रवियों ने जमकर बर्बाद किया है. आग के धुएं ने इस आंदोलन को लाल रंग दे दिया है. देश के अलग-अलग हिस्सों में जारी इस विरोध प्रदर्शन ने अब हिंसा की शक्ल अख्तियार कर ली है.
बता दें कि अलग-अलग राज्यों में फैले इस प्रदर्शन की आग में उपद्रवियों ने कई ट्रेन के डिब्बों को आग के हवाले कर दिया है. इसको लेकर सरकार और विपक्ष आमने-सामने है. इस मामले पर राजनीति तेज है लेकिन इस आग को बुझाने की कोशिश कहीं से भी नहीं की जा रही है. इसका खामियाजा तो देश को भुगतना पड़ रहा है.
क्या है अग्निपथ योजना?
वहीं अगर बात अग्निपथ योजना की करें तो यह एक भारतीय सेना की 'टूर ऑफ ड्यूटी' को दिया गया नाम है. सशस्त्र बलों ने दो साल पहले 'टूर ऑफ ड्यूटी' योजना पर चर्चा शुरू की थी. इस योजना के तहत ही सैनिकों को एक शॉर्ट टर्म कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती किया जाना है. भर्ती होने वाले युवाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी और फिर अलग-अलग फील्ड में तैनात किया जाएगा.
कई देशों में पहले से लागू है योजना
ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि दुनिया के कुल कितने देशों में 'टूर ऑफ ड्यूटी' (Tour of Duty) स्कीम लागू है. वहां इसकी क्या शर्तें हैं? किन प्रमुख देशों में युवाओं के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है? साथ ही कितने देश ऐसे हैं, जहां 4 साल या इससे कम के लिए सेना में भर्ती की जाती है.
इन देशों में पहले से नियम लागू
बता दें कि दुनियाभर में 30 से ज्यादा देश ऐसे हैं, जहां किसी न किसी तरह से टूर ऑफ ड्यूटी को लागू कर रखा है. इनमें 10 देश तो ऐसे हैं, जहां पुरुष और महिलाओं दोनों को सेना में अनिवार्य रूप से सेवा देनी पड़ती है. इनमें चीन, इजराइल, स्वीडन, यूक्रेन, नॉर्वे, उत्तर कोरिया, मोरक्को, केप वर्दे, चाड, इरित्रिया जैसे देश शामिल हैं.
इजरायल में पुरुष को 3 और महिला को 2 साल देनी होती है सेवा
इजरायल में दोनों के लिए यानी पुरुष और महिलाओं के लिए मिलिट्री सर्विस अनिवार्य है. मिलिट्री सर्विस के दौरान रक्षा बल में पुरुष को 3 साल और महिला को 2 साल तक सेवा देती है. इसके अलावा कई सैनिकों को अलग अलग जिम्मेदारी के तहत अतिरिक्त महीने की भी सेवा देनी पड़ती है. यह योजना देश के अलग अलग हिस्सों में रह रहे इजरायल के सभी नागरिकों पर लागू होती है.
ब्रिटेन में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के लिए अलग-अलग सीमा
आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के लिए ब्रिटेन में अलग अलग टूर ऑफ ड्यूटी की सीमा तय है. आर्मी में 18 साल के ऊपर के सभी नौजवानों को 4 साल के लिए टूर ऑफ ड्यूटी करनी पड़ती है. वहीं 18 साल से पहले भर्ती होने वाले युवाओं को 22वें जन्मदिन तक टूर ऑफ ड्यूटी करनी पड़ती है.
ब्राजील 18 साल के ऊपर के लिए मिलिट्री सेवा जरूरी
ब्राजील में 18 साल से अधिक की उम्र के लिए मिलिट्री सेवा जरूरी है. यह 1 साल के लिए होता है. 18 साल की उम्र पूरी होते ही यह हर पुरुष नागरिक पर लागू हो जाता है. सिर्फ स्वास्थ्य कारणों के आधार पर लोगों को छूट मिल सकती है. अगर आप यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं, तो सेवा टाली जा सकती है, लेकिन इसे रद्द नहीं किया जा सकता है.
रूस 18-27 साल सैन्य सेवा जरूरी
वहीं रूस में 18 से 27 साल तक के युवाओं को अनिवार्य सैन्य सेवा देनी जरूरी होती है. हालांकि पहले यहां अनिवार्य सैन्य सेवा के लिए युवाओं को 2 साल देने पड़ते थे. लेकिन 2008 से इसे घटाकर मात्र 12 महीने कर दिया गया है.
दक्षिण कोरिया में पुरुषों को 11 और महिला को 7 साल देनी होती है सेवा
दक्षिण कोरिया में सभी सैन्य पुरुषों को सेना में 21 महीने, नौसेना में 23 महीने और वायुसेना में 24 महीने सेवा देनी होती है. दक्षिण कोरिया में सबसे अधिक साल तक अनिवार्य सैन्य सेवा करनी होती है. वहीं इसमें पुरुषों को करीब 11 साल और महिलाओं को 7 साल तक सेवा देने का नियम है.
तुर्की में 20 से 41 साल उम्र सीमा तय
तुर्की में भी सेना भर्ती में पुरुष की उम्र 20 से 41 साल के बीच है, उन्हें तुर्की की सेना में शामिल होना ही होता है. जिनका हायर एजुकेशन या वोकेशनल ट्रेनिंग चल रहा होता है, हालांकि वह कुछ दिन के लिए अपनी मिलिट्री ट्रेनिंग टाल सकते हैं.
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