पटना:Jagjivan Ram: देश के कद्दावर राजनेताओं में एक जगजीवन राम की आज पुण्यतिथि है. आज ही के दिन 6 जुलाई 1986 को दिल्ली में उनका निधन हुआ था. जगजीवन राम को लोग प्यार से बाबू जगजीवन राम भी कहते थे. भारत के प्रथम दलित उप-प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम को एक समय देश के प्रधानमंत्री के रुप में देखा जाता था, लेकिन बाद में कुछ ऐसी परिस्थितियां हुई की वो प्रधानमंत्री नहीं बन पाए. 


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बाबू जगजीवन राम के नाम लगातार 50 सालों (1936-1986) तक सांसद रहने का वर्ल्ड रेकॉर्ड है. दलित समाज से आने वाले जगजीवन राम इस दौरान लगातार बराबरी और वंचितों के लिए लड़ते रहें. बाबू जगजीवन राम कांग्रेस के पक्के और वफादार नेता थे.  लेकिन देश प्रथम  दलित उप-प्रधानमंत्री की मृत्यू काफी विवादास्पद रही.  


राजीव गांधी पहुंचे अस्पताल
बाबू जगजीवन राम के निधन  के दो दिन पहले से ही इसकी अफवाह उड़नी शुरु हो गई थी. 4 जुलाई को ऑल इंडिया रेडियो पर उनके निधन की खबर प्रसारित की गई. नेताओं को जैसे ही इसके बारे में पता चला सभी भागे-भागे अस्पताल पहुंचे. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जो एक बड़ी मीटिंग के लिए मॉरीशस जा रहे थे, वो भी आनन-फानन अस्पताल अस्पताल पहुंचे. जबकि बाद में ये पता चलता है कि वो गंभीर रूप से बीमार हैं. 


3 जुलाई को देखा था जीवित
बताया जाता है कि 6 जुलाई को जब बाबू जगजीवन राम जब निधन हुआ तब उनका चेहरा काफी सूजन थी. ऐसी सूजन मौत के काफी घंटे बीत जाने के बाद व्यक्ति के शरीर पर दिखती है. वहीं बाबूजी की पोती कीर्ति ने 3 जुलाई को उनकों आखिरी बार जीवित  देखा था. इस मामले में कीर्ति  ने कहा था कि जब वो अपने दादा से मिलने अस्पताल में पहुंची तो उनकी आंखों को रुई से ढंककर रखा गया था. उन्होंने जैसे ही अपने दादा को छूने की कोशिश की वैसे ही उन्हें रोक दिया गया. 


कांग्रेस पर आरोप 
अब ऐसे में ये सवाल उठने लगा कि अगर बाबू जगजीवन राम की निधन 4 जुलाई को हुई तो फिर किस वजह से तारीख को 6 जुलाई कहा गया? कई लोग इसके लिए तत्कालीन पीएम राजीव गांधी को जिम्मेदार मानते हैं. दरअसल, राजीव गांधी 4 जुलाई को एक बड़ी मीटिंग के लिए मॉरिशस जा रहे थे. लेकिन अगर 4 जुलाई को बाबूजी का निधन कन्फर्म जो जाता तो उन्हें अपना दौरा टालना पड़ता. जिसके चलते 4 जुलाई की जगह 6 जुलाई को बाबू जगजीवन राम का निधन बताया गया.


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