बिहार: कागजों ने सोखा नल का जल, जनता रह गई `प्यासी` हो गई करोड़ों की लूट
Nal Jal Yojna Scam: सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यहां हर घर नल का जल योजना का काम पूरा हो चुका है. हर वार्ड में पानी की टंकी लगाई जा चुकी है. हर घर तक पानी के लिए पाइप बिछ चुका है
पटना: हर घर नल का जल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना है. साल 2016 में योजना पर काम शुरू हुआ और सरकारी आंकड़ों की मानें तो साल 2021 में ये योजना पूरी हो चुकी है. योजना की बड़ी बात ये है कि अब केंद्र सरकार ने भी इस योजना को एडॉप्ट कर लिया है.
अब बड़ा सवाल ये है कि बिहार सरकार की योजना पूरी होने के बाद किस हालात में है ये तस्वीर अभी तक सामने नहीं आई है. इसी तस्वीर और हकीकत को जानने के लिए हम पहुंचे पटना के पानापुर पंचायत में. गंगा से सटे इस पंचायत में 21 वार्ड हैं.
कागज पर काम पूरा
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यहां हर घर नल का जल योजना का काम पूरा हो चुका है. हर वार्ड में पानी की टंकी लगाई जा चुकी है. हर घर तक पानी के लिए पाइप बिछ चुका है और पानी के लिए नल लगाए जा चुके हैं. लेकिन जब हमने यहां की तस्वीर देखी तो चौकाने वाले खुलासे हुए.
एक साल का बीत गया वक्त
पंचायत की महिलाओं ने बताया कि इलाके में कुछ ही जगहों पर नल जल योजना का लाभ मिल रहा है. पानी के लिए पाईप और नल बिछाए गए हैं. लेकिन नल से पानी अभी तक नहीं सुचारू ढंग से शुरु हो पाया है. जब व्यवस्था शुरू की गई थी तब एक दो दिन तक पानी आया उसके बाद से पानी की आस में वो बैठी हैं. नल के पानी के इंतजार में एक साल से उपर का वक्त बीत चुका है.
योजना के नाम पर भ्रष्टाचार की सेंध
योजना की शुरुआत के मौके पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि जिस नल से पानी निकलेगा उसकी टोटी पीतल की होगी. ताकि नल जल्दी खराब न हो सके. लेकिन यहां हमें नल की टोटी प्लास्टिक की नजर आई वो भी इस्तेमाल हुए बगैर ही दम तोड़ चुकी है. नल का जल नहीं मिलने की वजह से मजबूरी में लोग हैंडपंप के पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं. पानी साफ नहीं होने के बावजूद भी लोग इसी पानी को पीने में इस्तेमाल करते हैं.
कई घरों में टोंटी तक नहीं लगी
हालात देखकर ऐसा लगा कि जिन लोगों के घर तक पानी के लिए नल की टोटी लग गई वो तो खुशकिस्मत निकले. क्योंकि हमें कई ऐसे लोग भी मिले जिनके घर तक नल के जल के लिए टोंटी तक भी नहीं पहुंच पाई है. कई लोगों के घरों तक पाइप बिछाकर ही छोड़ दिया गया है. हालात ये है कि अब पाइप के आसपास इंतनी झाड़ियां उग आई हैं कि पाइप की पहचान मुश्किल हो गई है.
योजना में भ्रष्टाचार की सेंध
लोगों की शिकायत और तस्वीरें हमें योजना में भ्रष्टाचार की सेंध के संकेत देते नजर आए. हमें ये नहीं पता था कि ये तो अभी शुरुआत ही है. क्योंकि इसके आगे की तस्वीरों ने हमें पूरी योजना में भ्रष्टाचार के दीमक की तस्वीर दिखा दी. काम की गुणवत्ता को जांचने के लिए हमें योजना के तहत बनी पानी की टंकी की हकीकत को जानने के लिए काफी उंचाई तक जाना पड़ा. लेकिन वहां की तस्वीर और हैरान करने वाली थी.
पानी की दो टंकियां जिस लोहे के प्लेटफार्म पर लगाई गईं थी वो डेढ़ साल में ही सड़ गईं. लोहे की चादरों में सड़ने के बाद उसमें सुराख हो गए हैं. इतना ही नहीं, पानी का ज्यादा लोड होने के बाद ये प्लेटफार्म धारासाई हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं. इतना ही नहीं, जो टंकियां लगाई गई हैं इनमें दरार साफतौर पर देखा जा रहा है. कुल मिलाकर डैमेज टंकियों में पानी स्टोर नहीं किया जा सकता.
कागजों में 2021 में पूरा हुआ काम
सरकार के आंकड़ों की मानें तो हर घर का नल का जल योजना साल 2016 में शुरू हुई. साल 2021 में योजना का काम पूरा हो चुका है. योजना के तहत 14 करोड़ 92 लाख 60 हजार 35 लोगों के घरों तक पीने का साफ पानी पहुंचाया जा चुका है. योजना पंचायती राज विभाग और पीएचईडी विभाग ने मिलकर पूरा किया है. जिस पर 25 हजार 572 करोड़ की राशी खर्च की गई है.
केंद्र ने भी अपनाई योजना
बिहार सरकार की इस योजना से प्रभावित होकर केंद्र सरकार ने भी 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की है. केंद्र सरकार 2022-23 में इस योजना के लिए पूरे देश में 60 हजार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है. जिसमें 3.8 करोड़ परिवारों तक साफ पानी पहुंचाया जाएगा.
3 लाख 60 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना
वैसे केन्द्र सरकार का भी दावा है कि बीते दो सालों में 5.5 करोड़ घरों तक नल का जल पहुंचाया जा चुका है. कुल मिलाकर केन्द्र सरकार जल जीवन मिशन के तहत 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपए खर्च करने की योजना पर काम कर रही है. जिसके तहत 55 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन देने की योजना है.
कागजों पर काम पूरा लेकिन जमीन पर अधूरा
अब बड़ा सवाल ये है कि जहां काम हुआ है वहां के लोगों को ही योजना का फायदा नहीं मिल रहा तो योजना का फायदा आखिर किसे मिले. पानापुर के वार्ड नंबर 17 में जब हमारी टीम हकीकत जानने पहुंची तो तस्वीरें और डरावनी थीं. नल जल योजना के तहत बिछी पाइपें उखड़ी हुई जमीन से बाहर नजर आईं. कहीं पाइप थी तो कहीं टोंटी गायब.
जल घोटाले का जिम्मेदार कौन?
कहीं पाइप लगी है तो टोंटी नहीं, कहीं टोंटी लगी तो पाइप नदारद, कहीं पानी की टंकी लगी है तो मोटर खराब, कहीं सब कुछ लगा है तो घटिया समाग्री योजना को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है. लोग सरकार से मदद के लिए अपील कर रहे हैं. गर्मी आ रही है ऐसे में हैंडपंप का गंदा पानी ही इनके लिए एक मात्र जीने का साधन बना हुआ है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस जल घोटाले का जिम्मेवार कौन है और क्या उसे कभी सजा मिल पाएगी?
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