आठ साल पहले बनकर तैयार हुआ पुल, अबतक नहीं बना एप्रोच पथ, आवागमन के लिए नाव का सहारा
खगड़ियाः खगड़िया के मथार दियारा को शहर से जोड़ने के लिए गंगा की उपधारा पर साल 2014 में एक पुल का निर्माण किया गया था, पुल बन जाने के बाद इलाके के लोगों को लगा कि अब उनका शहर से सीधा संपर्क आसान हो जाएगा और लोग अपने जरूरी काम के लिए जान को खतरे में डाल कर गंगा और बूढ़ी गंडक नदी के बहाव के बीच सफर करन
खगड़ियाः खगड़िया के मथार दियारा को शहर से जोड़ने के लिए गंगा की उपधारा पर साल 2014 में एक पुल का निर्माण किया गया था, पुल बन जाने के बाद इलाके के लोगों को लगा कि अब उनका शहर से सीधा संपर्क आसान हो जाएगा और लोग अपने जरूरी काम के लिए जान को खतरे में डाल कर गंगा और बूढ़ी गंडक नदी के बहाव के बीच सफर करने से बचेंगे, लेकिन आठ साल बीत जाने के बाद आज भी दियारा के करीब 30 हजार लोग सड़क की बाट जोह रहे हैं.
गंडक नदी और गंगा की उपधारा की वजह से टापू बना रहता है इलाका
गंगा और बूढ़ी गंडक नदी के बीच खगड़िया सदर प्रखंड के करीब एक दर्जन से ज्यादा गांव में 30 से 35 हजार की अबादी रहती है. यह इलाका मथार दियारा के नाम से जाना जाता है. आजादी के 75 साल बाद भी शहर से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में लोगों को घंटों लग जाता है. वजह है गंडक नदी और गंगा की उपधारा, ऐसे में इस इलाके के लोगों के आवागमन का एकमात्र साधन है नाव. इस इलाके के लोग एक अदद सड़क और पुल की मांग लगातार करते रहें हैं, ऐसे में 2013-14 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अन्तर्गत मथार दियारा को जोड़ने का काम शुरू किया गया और दुर्गापुर गांव में गंगा की उपधारा पर एक पुल का निर्माण किया गया है.
संपर्क पथ का 'रास्ता' देख रहा है पुल
साल 2014 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से 5 करोड़ 69 लाख की लागत से पुल तो बनकर तैयार हो गया, लेकिन एप्रोच पथ के आभाव में यह पुल यूं ही नदी की धार के बीच खड़ा है और दोनो तरफ से ऐप्रोच पथ आज तक नहीं बन पाया है. एप्रोच पथ नहीं बन पाने के कारण पुल का कोई उपयोग नहीं रह गया है, ऐसा लगता है मानों नदी की धार के बीच एक पुल रास्ते के इंतजार में खड़ा है. इलाके के लोग अपनी मांग पूरी होने के बावजूद पुल का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और पूरे साल नाव के सहारे ही आवागमन करने को मजबूर हैं.
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आठ साल में क्यों नहीं बन पाया पुल का एप्रोच पथ?
करोड़ों की लागत से पुल बन जाने के आठ साल बाद भी संपर्क पथ का न बन पाना प्रशासनिक अक्षमता को दर्शता है. सवाल उठता है कि सड़क से और ऐप्रोच पथ से पुल को नहीं जोड़ना था तो पुल का निर्माण ही क्यों करवाया गया? क्या पुल बनाने के पहले एप्रोच पथ और सड़क के लिए जमीन नहीं ली गई थी. वहीं इस मामले को लेकर खगड़िया के सांसद चौधरी महबूब अली कैशर से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्होंन जल्द ही पूरे मामले की जांच कराने की बात कही है.
नाव हादसे में हो चुकी है दर्जनों लोगों की मौत
पगडंडी और नाव के सहारे आवागमन को मजबूर मथार दियारा के लोग केवल एक सड़क के इंतजार में हैं. हलांकि इस नदी में आए दिनों नाव हादसे होते रहते हैं,और कई बार तो लोगों की जान भी चली जाती है. अबतक यहां नाव हादसे में दर्जनों लोगों की मौत भी हो चुकी है. साल 2020 में हुए नाव हादसे में मथार के एक दर्जन से ज्यादा लोगों ने जान गवां दी थी. ऐसे में पांच करोड़ से अधिक की लागत के बाद भी करीब तीस हजार लोगों के लिए पुल किसी काम का नहीं है और लोग जान जोखिम में डालकर आज भी उफनती नदी को नाव के सहारे पार करने पर मजबूर हैं.
(इनपुट- हितेश कुमार, रिपोर्ट-नमिता मिश्रा)