पटना: Building bylaws changed: शहरी निकायों में भवन के नक्शों और प्रमाण पत्रों की मियाद को लेकर बड़ा बदलाव हुआ है. इनकी वैधता दो साल के लिए बढ़ा दी गई है. इनकी वैधता अब तीन साल की जगह पांच साल के लिए होगी. राज्य सरकार ने शहरी निकायों के लिए कैबिनेट से स्वीकृत संशोधित बिल्डिंग बायलॉज में इसका प्रावधान किया है. इसके साथ ही 100 से अधिक आवास वाले ऊंचे भवनों में पाइपलाइन से ही गैस की आपूर्ति का प्रावधान किया गया है.


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अभी तक ये है व्यवस्था
जानकारी के मुताबिक, वर्तमान में भवन निर्माणकर्ताओं को तीन साल की वैधता अवधि में ही काम पूरा होने का प्रमाण पत्र देना होता है. अब ऐसा नहीं होगा. तीन साल में भवन पूरा नहीं होने पर उसकी वैधता अधिकतम दो साल के लिए बढ़ायी जा सकती है. पांच साल में भी भवन पूरा नहीं होने पर नये सिरे से आवेदन करना होता है.


200 मीटर परिधि में निर्माण की बंदिश हटी
गंगा नदी के सामने वाली नदी की बाहरी चहारदीवारी (सिंचाई विभाग द्वारा निर्मित) से 200 मीटर दूरी तक की भूमि पट्टी पर निर्माण पर लगी रोक हटी. शहरी सुरक्षा दीवार से शहर की ओर सिर्फ 15 मीटर के भीतर भूमि पट्टी पर ही निर्माण या पुनर्निर्माण पर रोक रहेगी. सुरक्षा दीवार नहीं होने पर गंगा नदी के किनारे निचले तटबंध से शहरी इलाके की ओर यह प्रतिबंध 25 मीटर तक प्रभावी रहेगा. अन्य नदियों के मामले में पहले के 100 मीटर तक लगी रोक को कम करते हुए 30 मीटर तक प्रतिबंधित कर दिया गया है.


ये भी हुए संशोधन
बिल्डिंग बायलॉज में नए संशोधन के मुताबिक, भवन में पार्किंग की गणना बिल्ड अप एरिया नहीं बल्कि सर्विस एरिया (बिल्डअप एरिया का अधिकतम 15 फीसदी तक) के आधार पर होगी. 


40 फुट या उससे अधिक चौड़ी सड़क के लिए भवन की अधिकतम ऊंचाई और मंजिल का कोई बंधन नहीं. 
19 मीटर से ऊपर की ऊंचाई के भवनों के लिए 40 फीसदी ही ग्राउंड कवरेज कर सकेंगे. 60 फीसदी भाग खुला रखना होगा. 
एकीकृत टाउनशिप को प्रोत्साहित करने के लिए एफएआर 3.0 की जगह 3.5 का प्रावधान किया गया है.
सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से भवन योजनाओं का क्लियरेंस दिये जाने का प्रावधान. 
फायर, एयरपोर्ट, इन्वायरमेंट आदि के लिए ऑनलाइन आवेदन
इसके लिए ऑनलाइन भुगतान, स्थिति की ट्रैकिंग और एनओसी जारी करने का प्रावधान.


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