पटनाः Chitragupta Puja Vidhi Shubh Muhurt: दीपावली के पांच दिनों में आखिरी दिन बिहार के लिए सबसे खास होता है. दरअसल, पांचवें और अंतिम दिन चित्रगुप्त महाराज की पूजा की जाती है. कायस्थ जाति में इस पूजा का विशेष महत्व है. इसे कलम-दवात की पूजा के नाम से जाना जाता है. दीपावली की रात से ही कायस्थ लोग कलम-दवात को पूजा स्थल पर रख देते हैं. इसके बाद जब तक पूजा नहीं हो जाती है, कलम का स्पर्श नहीं करते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

देवताओं के लेखपाल हैं चित्रगुप्त महाराज
चित्रगुप्त देवताओं के लेखपाल हैं, और मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं, उनकी पूजा के दिन नई कलम दवात या लेखनी की पूजा उनके प्रतिरूप के तौर पर की जाती है.लेखनी की पूजा से वाणी और विद्या का वरदान मिलता है. कायस्थ या व्यापारी वर्ग के लिए चित्रगुप्त पूजा दिन से ही नववर्ष का आगाज माना जाता है. इस दिन व्यापारी नए बही खातों की पूजा करते है.नए बहीखातों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है.


ये है पूजा की शुभ तिथि
द्वितीया तिथि का प्रारंभ 5 नवंबर शुक्रवार को रात्रि 11 बजकर 15 मिनट से 6 नवंबर शनिवार शाम को 7 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. चित्रगुप्त जी की पूजा का शुभ मुहूर्त : 6 नवंबर शनिवार को दोपहर 1:15 मिनट से शाम को 3:25 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा.


ऐसे करें चित्रगुप्त पूजा
एक चौकी पर चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर स्थापित करें, इसके बाद अक्षत्, फूल, मिठाई, फल आदि चढ़ाए. एक नई कलम या कोई लेखनी जिसका आप उपयोग करते हो, उनको अर्पित करें तथा उसकी पूजा करें. अब सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिख कर चित्रगुप्त जी से विद्या, बुद्धि तथा लेखन का अशीर्वाद लें.चित्रगुप्त की पूजा करने से साहस, शौर्य, बल और ज्ञान की प्राप्ति होती है.