Patna: बिहार विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस (Congress) और आरजेडी (RJD) की राहें जुदा हो गई हैं. दोनों ही दलों ने एक दूसरे के उम्मीदवार के खिलाफ अपना उम्मीदवार दे दिया है. अलग चुनाव लड़ने के कारण रिश्तों में भी खटास आने लगी है. इधर, कांग्रेस ने तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को लेकर आरजेडी पर बड़ा आरोप लगा दिया है. 


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कांग्रेस ने कहा है कि तेजस्वी यादव अगर सीएम नहीं बन पाए हैं तो इसके लिए आरजेडी के दो-तीन नेता जिम्मेवार है, जो न तो सहयोगी दलों के बीच सामंजस्य बनने दे रहे हैं और न ही तेजस्वी यादव को सीएम के रूप में देखना चाहते हैं. कांग्रेस के आरोपों के बाद महागठबंधन को लेकर सियासत परवान चढ़ने लगी है. 


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'तेजस्वी को CM बनते नहीं देखना चाहते नेता'
विधानसभा उप चुनाव ने बिहार के सियासी समीकरण में बदलाव के संकेत देने शुरू कर दिए हैं. उपचुनाव ने बिहार में महागठबंधन का आकार छोटा कर दिया है. कांग्रेस ने इसके लिए आरजेडी के कुछ नेताओं को जिम्मेवार ठहराया है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौड ने बडा आरोप लगाते हुए कहा, 'आरजेडी के कुछ नेता ये नहीं चाहते हैं कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बने. उन्हीं नेताओं के कारण महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच सामंजस्य नहीं बन पा रहा है. अगर सामंजस्य होता तो तेजस्वी 2020 में ही सीएम बन जाते.'  


विधानसभा चुनाव से सिकुडता गया महागठबंधन का आकार
दरअसल, कांग्रेस की इस दलील के पीछे का तर्क काफी लंबा है. 2020 विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में कुल आठ घटक दल हुआ करते थे, जिसमें आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआईएमएल, सीपीएम, हम, आरएलएसपी और वीआईपी पार्टी शामिल थी. इतने दलों को एक साथ होने के कारण सामंजस्य की कमी लगातार आ रही थी. इसी सामंजस्य की कमी के कारण साल 2019 में विधानसभा की 5 सीट और लोकसभा की एक सीट पर हुए उपचुनाव में महागठबंधन बिखरा नजर आया.


आरजेडी-कांग्रेस ने आपसी तालमेल कर लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में डाल दी और आरजेडी ने विधानसभा की सभी सीटों पर खुद के उम्मीदवार उतार दिए. जबकि हम, आरएलएसपी और वीआईपी पार्टी भी उप चुनाव लडना चाहती थी लेकिन उनकी कोई पूछ नहीं हुई. इसके बाद जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) लगातार महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमिटि की मांग करते रहे लेकिन आरजेडी ने उसे दरकिनार कर दिया.  


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'एक दूसरे को औकात दिखाने में लगे हुए हैं कांग्रेस-आरजेडी' 
वहीं, बीजेपी (BJP) प्रवक्ता निखिल आनंद की मानें तो आरजेडी और कांग्रेस लगातार एक दूसरे को औकात बताते रहे हैं. आरजेडी ने कांग्रेस को बिहार में पिछलग्गू बना दिया. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पहले लालू प्रसाद (Lalu Prasad) को ठिकाने लगाया और अब तेजस्वी यादव को ठिकाने लगाने की तैयारी कर रहे हैं.  


महागठबंधन के भविष्य को लेकर चुनाव के बाद फैसला लेगी कांग्रेस 
इधर, जीतन राम मांझी कोआर्डिनेशन कमिटि की मांग के सवाल पर महागठबंधन से अलग हो गए. 2020 विधानसभा चुनाव के वक्त सही सीटों का बंटवारा नहीं होने से नाराज उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की आरएलएसपी (Rashtriya Lok Samta Party) और मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) की वीआईपी (VIP) पार्टी भी महागठबंधन से अलग हो गई. 2021 विधानसभा उपचुनाव के वक्त भी महज एक सीट के मसले पर आरजेडी ने कांग्रेस को महागठबंधन से अलग कर दिया. हालांकि, आरजेडी की तरफ से अभी भी दावा किया जा रहा है कि बिहार में महागठबंधन बरकरार है लेकिन कांग्रेस महागठबंधन के भविष्य को लेकर चुनाव के बाद फैसला लेने की बात कह रही है.  


'मुख्यमंत्री पद की नहीं है वैकेंसी' 
जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार के मुताबिक, 'कुशेश्वरस्थान में आरजेडी ने कांग्रेस को औकात दिखा दी है. छाती पर खंजर भोंक दिया है लेकिन फिर भी आरजेडी उसका मोह नहीं छोड़ रही है. वैसे बिहार में मुख्यमंत्री पद की कोई वैकेंसी ही नहीं है तो कांग्रेस सपना किसे दिखा रही है?'       


आरजेडी बता रही फ्रेंडली फाईट 
उधर, उपचुनाव में राहें जुदा करने के बाद भी आरजेडी इसे फ्रेंडली फाईट बता रही है. आरजेडी के नेता कांग्रेस पर कुछ भी खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं. हालांकि, पार्टी के नेता विजय प्रकाश ने कांग्रेस से आरजेडी के उन नेताओं की सूची मांगी है जो तेजस्वी यादव को सीएम बनते नहीं देखना चाहते हैं.