Patna: पितृ विसर्जन के साथ राज्य में शारदीय नवरात्र का आगमन हो गया है. माता भवानी भक्तों के घरों में आ रही हैं और 7 अक्टूबर को इस पुण्य तिथि का पहला दिन है. नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा की उपासना का उत्सव है. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी शक्ति के नौ अलग-अलग रूप की पूजा-आराधना की जाती है. एक वर्ष में पांच बार नवरात्र आते हैं, चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष और माघ नवरात्र. इनमें चैत्र और अश्विन यानि शारदीय नवरात्रि को ही मुख्य माना गया है. इसके अलावा आषाढ़, पौष और माघ गुप्त नवरात्रि होती है. शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनायी जाती है. शरद ऋतु में आगमन के कारण ही इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है.


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प्रकृति का स्वरूप है कलश
प्रतिपदा तिथि यानी आज घट स्थापना (Kalash ghat sthapna) के साथ माता की पूजा आरंभ हो जाएगी. घट स्थापना बहुत सावधानी के साथ करनी चाहिए. क्योंकि यह सिर्फ घट स्थापना नहीं होती है, बल्कि माता के स्वरूप का घर में आह्वान करना होता है. माता के प्रतीक रूप में जल, दीप ज्योति, मिट्टी का कलश, गाय का गोबर और सप्त धान्य का प्रयोग जरूरी होता है. इन सभी का कलश स्थापना के समय प्रयोग यह बताता है कि असल में प्रकृति ही हमारी मां है, जो जल, अनाज, अग्नि और खेत या धरती के रूप में हमारा पोषण कर रही है.


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खेती से जुड़ाव का प्रतीक है सप्त धान्य
इसमें भी सप्त धान्य का प्रयोग खेती से जुड़ाव बताता है. भारत के कृषि प्रधान देश के रूप में इसकी आत्मा आज भी गांवों में बसती है. सप्त धान्य में प्रयुक्त होने वाले सात तरह के अनाज मानव समाज के संपूर्ण पोषण की ओर इशारा करते हैं और इसीलिए पूजा के योग्य माने जाते हैं. यानी कि माता के पूजा के रूप में हम अपने दैनिक जीवन जरूरी प्रकृति का ही सम्मान कर रहे होते हैं. इन सात अनाज में शामिल हैं, जौ, तिल, धान, मूंग, कंगनी, चना और गेहूं.


बिहार में सप्त धान्य की खेती
बिहार में आज भी 50 प्रतिशत से अधिक संख्या किसानी पर निर्भर है. यहां जौ, धान और दलहन की फसलें मुख्य रूप से उगाई जाती हैं, वहीं गेहूं की उपज भी किसान यहां अच्छी खासी कर लेते हैं. पानी से युक्त और प्राकृतिक सिंचाई वाली यह जमीन प्रकृति का वरदान है. ऐसे में जब कलश पर ये सातों अनाज एक साथ पूजे जाते हैं तो बिहार के किसान की पसीने एक-एक बूंद धन्य हो जाती है. यह उनकी मेहनत की ही पूजा है.


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ऐसे करें घटस्थापना


  • मिट्टी के बर्तन में रख कर सप्त धान्य को उसमे रखें.

  • एक कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र पर रखें.

  • कलश के ऊपर अशोक अथवा आम के पत्ते रखें.

  • अब नारियल में कलावा लपेट लें.

  • नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रखें.

  • घटस्थापना पूर्ण होने के बाद देवी का आह्वान करें.


आवश्यक सामग्री


  • सप्त धान्य (7 तरह के अनाज)

  • मिट्टी का एक बर्तन जिसका मुंह चौड़ा हो

  • पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी

  • कलश, गंगाजल (उपलब्ध न हो तो सादा जल)

  • पत्ते (आम या अशोक के)

  • सुपारी

  • जटा वाला नारियल

  • अक्षत (साबुत चावल)

  • लाल वस्त्र

  • पुष्प


ये है घट स्थापना (Ghat Sthapna) का शुभ समय
घटस्थापना बृहस्पतिवार, अक्टूबर 7, 2021 को
घटस्थापना मुहूर्त - 06:18 बजे सुबह से 07:07 बजे सुबह तक
अवधि-  49 मिनट
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त- 11:46 बजे दिन से 12:33 बजे दोपहर तक
अवधि- 47 मिनट