हरिहरनाथ मंदिर सारण: एक साथ श्रीहरि और महादेव का दर्शन दिलाता है मोक्ष
Hariharnath Temple: बिहार के सारण जिले में स्थित सोनपुर में हरिहरनाथ का अति प्राचीन मंदिर है. यहां हरि श्रीविष्णु और हर यानी कि महादेव की प्रतिमा एक साथ स्थापित की गई है.
Saran: बिहार की धरती जहां अपने आप में इतिहास को संजोए हुए है तो इसी धरती से धर्म की ध्वजा भी ऊंचे आकाश को छू रही है. देशभर में स्थित कई प्रसिद्ध मंदिरों के बीच सारण जिले में स्थित हरिहरनाथ मंदिर की छटा अलग ही देखते बनती है. इस मंदिर की खासियत है कि यहां महादेव भी विराजित हैं और साथ में श्रीहरि भी दर्शन देते हैं. एक ही गर्भगृह में विराजे दोनों देव एक साथ हरिहर कहलाते हैं. श्राद्ध वाली अमावस्या को यहां स्थित गंडक नदी में श्रद्धालु विशेष स्नान के लिए भी पहुंचते हैं.
श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करते हैं बाबा हरिहरनाथ
बिहार के सारण जिले में स्थित सोनपुर में हरिहरनाथ का अति प्राचीन मंदिर है. यहां हरि श्रीविष्णु और हर यानी कि महादेव की प्रतिमा एक साथ स्थापित की गई है. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा-गंडक के संगम स्थल यानी हाजीपुर सोनपुर में स्थित हरिहर क्षेत्र में गंडक नदी के किनारे लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान कर बाबा हरिहर नाथ मंदिर मे पूजा अर्चना करते हैं. बाबा हरिहर नाथ का यह मंदिर पौराणिक विरासत का दिव्य स्थल है और बाबा श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करते हैं.
यहीं हुआ था गज-ग्राह युद्ध
पौराणिक मान्यता है कि श्रीहरि ने यहीं पर गज के प्राणों की रक्षा करते हुए ग्राह का उद्धार किया था. सोनपुर में गज और ग्राह के युद्ध स्थल पर हरि (विष्णु) और हर (शिव) का हरिहरनाथ मंदिर है. सावन माह के सोमवार के दिन यहां श्रद्धालुओं की संख्या महादेव की पूजा के लिए बढ़ जाती है तो वहीं कार्तिक में विशेष तौर पर हरिविष्णु की पूजा की जाती है. क्योंकि यहां पर भगवान विष्णु ने ग्राह का वध करके उसका उद्धार किया था और उसे मोक्ष मिला था, इसलिए श्रद्धालु इस स्थान को मोक्षद्वार भी कहते हैं. कहते हैं कि भगवान शिव के यहां के दर्शन यम को भी जीत लेते हैं.
शैव और वैष्णव दोनों ही परंपरा का मंदिर
कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण श्रीराम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया था. गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित यह प्राचीन मंदिर सभी हिन्दुओं की श्रद्धा का केंद्र है. बाद में इस मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया. अभी जो मंदिर बना है, उसकी मरम्मत राजा राम नारायण ने करवाई थी. मंदिर के अंदर गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है. इसके साथ ही भगवान विष्णु की प्रतिमा भी है. पूरे देश में इस तरह का कोई दूसरा मंदिर नहीं है जहां हरि और हर एक साथ स्थापित हों. यह स्थल शैव और वैष्णव मत के परम संयोग का भी है.