पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयासों से बिहार में जातिगत जनगणना की सहमति बनना एक बेहद उपयोगी कदम है. बिहार में जातिगत जनगणना का लाभ आखिरकार पूरे देश को मिलेगा. जातिगत जनगणना पूरे देश में होना आवश्यक है. परिषद ने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि व्यापक जनहित में देश भर में जातिगत जनगणना कराई जाए। जब तक देश भर में जातीय जनगणना नहीं होगी तब तक उनकी लड़ाई और अभियान जारी रहेगा. जातिगत जनगणना के सवाल को लेकर महात्मा फुले जन जागरूकता फैलाने का काम लगातार करती रहेगी. यह बातें पूर्व मंत्री मुनेश्वर चौधरी ने सारणा जिला में नगर पालिका चौक स्थित आभार यात्रा जदयू और महात्म फुले समता परिषद द्वारा आयोजित आभार यात्रा के दौरान क्षेत्रीय जनता से कहीं. यात्रा का आयोजन जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा के निर्देशानुसार जदयू जिला अध्यक्ष मुरारी सिंह के अगुवाई में हुआ.


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मंत्री मुनेश्वर चौधरी ने कहा कि वक्त की मांग है जातिगत जनगणना हाल के दिनों में कई राजनीतिक दलों और सामाजिक चिंतकों ने भारत में जातिगत जनगणना कराने की मांग की है. पूर्व विधायक धुम सिंह ने कहा की अब प्रश्न उठता है कि ओ.बी.सी. समाज द्वारा यह मांग क्यों की जा रही है. इसके जोर पकड़ने का सबसे प्रभावी कारक आरक्षण है. बीते समय के दो परिवर्तनों ने इसकी गति और तेज़ कर दी है, पहला EWS आरक्षण और दूसरा राज्यों को ओ.बी.सी. वर्ग की पहचान करने का अधिकार दिया जाना है.


अमान्य  हो सकती है आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा
पार्षद डॉ. वीरेंदर नारायण यादव ने कहा की इन दोनों संशोधनों से दो संभावनाएँ पैदा हुई. पहली यह कि आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा अमान्य हो सकती है और दूसरी यह कि राज्य अपने स्तर पर ओ.बी.सी. वर्ग की पहचान सुनिश्चित कर उसी अनुपात में उन्हें आरक्षण का लाभ दे सकें. जदयू प्रदेश सचिव अल्ताफ आलम राजू ने कहा की इन्हीं दोनों संभावनाओं ने ओ.बी.सी. जाति जनगणना की मांग में तेज़ी ला दी है। इस मांग को और गति मद्रास उच्च न्यायालय के एक फैसले ने दे दी जिसमें जाति जनगणना को आवश्यक बताया गया है. राज्य परिषद सदस्य बैजनाथ प्रसाद सिंह विकक्ल ने कहा की अब यह विचारणीय है कि ओ.बी.सी. वर्ग द्वारा की जा रही जाति जनगणना की मांग उचित है.


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