मुंगेर: मनरेगा में लाखों का घोटाला, करीब 52 लाख रुपये का किया गया बंदरबांट
Munger News: मुंगेर के असरगंज प्रखंड में मनरेगा के तहत काम के लिए 51 लाख 36 हजार रुपये की निकासी की गई, लेकिन जमीन पर कोई भी काम नहीं किया गया. स्थानीय लोगों का आरोप है कि मुखिया ने अधिकारियों के साथ मिलकर पैसों का बंदरबांट किया है.
Munger: मुंगेर के असरगंज प्रखंड में मुखिया (Asarganj Mukhiya) की कारगुजारी का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने भ्रष्टाचार (Corruption in Munger) की सारी हदें पार कर दी. मामला रहमतपुर पंचायत का है जहां वार्ड नम्बर 5 माधोपुर गांव में मनरेगा (MGNREGA) के तहत खेल मैदान का निर्माण होता था. इसके लिए 50 लाख 36 हजार का फंड पारित किया गया, मुखिया ने सारे पैसे भी निकाल लिए लेकिन जमीन पर कुछ भी काम नहीं किया.
स्थानीय लोगों के मुताबिक, मुखिया पूनम देवी ने काम के नाम पर मैदान में सिर्फ 50-60 टेलर मिट्टी गिराया. इसके बाद कुछ भी नहीं किया गया, ना तो मैदान की चारदीवारी के लिए एक ईट जोड़ी गई और ना ही कोई और काम किया गया. जब मैदान के बार 58 लाख रुपये के योजना को बोर्ड लगा तब स्थानीय लोगों के होश उड़ गए कि यहां तो काम कुछ भी नहीं हुआ और बोर्ड पर 58 लाख का बजट दिया गया है.
इसके बाद स्थानीय लोगों ने इस मामले को लेकर शिकायत शुरू कर दी. ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान मुखिया पूनम देवी, प्रतिनिधि सुरेश मांझी और स्थानीय पदाधिकारी के द्वारा सरकार के खजाने की लूट की गई है. यहां जमीन पर कार्य कुछ भी नहीं किया गया लेकिन पैसे की निकासी लगभग 52 लाख रुपये की गई है.
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'फिलहाल अधिकारी जवाब देने से बच रहे हैं'
इतने बड़े घोटाले को लेकर जब कार्यक्रम पदाधिकारी निरंजन राय से पूछा गया तो उन्होंने भी सरकारी भाषा में गोल गोल जवाब देकर मामले को रफादफा करने की कोशिश की. उनका कहना है कि यहां मेरा अभी पदस्थापना हुआ ही है. अभी इस स्कीम का अभिलेख नहीं देख पाया हूं, यह स्कीम 2016-17 वित्तीय वर्ष की है जो 2018-19 वर्ष में पूरा हुआ है.
इस मामले में जांच करेंगे अधिकारी
इस मामले में कार्यक्रम पदाधिकारी निरंजन राय ने कहा कि कुल खर्च 51,36,000 रुपया हुआ है, जिसमें अनस्किल्ड लेबर पर 8,61,459 रुपया और मेटेरियल में 42,74,889 रुपये खर्च हुए हैं. जो एमआईएस का रिपोर्ट शो कर रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि अभिलेख की तो जांच कर ली जाएगी, योजना स्थल का भी निरीक्षण किया जाएगा. स्टीमेट के हिसाब से कार्य को पूरा किया गया है कि नहीं ये फिलहाल एमआईएस रिपोर्ट से भी क्लियर नहीं हो पा रहा है.
(इनपुट- प्रशांत कुमार)