नीतीश सरकार ने मूर्ति विसर्जन के लिए जारी किये जरूरी निर्देश, करना होगा इन नियमों का पालन
बिहार (Bihar) में त्योहारी सीजन शुरू हो चुका है. इस दौरान यदि आपने गंगा या उससे जुड़ी किसी सहायक नदी में मूर्ति विसर्जन करने की योजना बनाई है, तो इसका परिणाम जुर्माना हो सकता है.
Patna: बिहार (Bihar) में त्योहारी सीजन शुरू हो चुका है. इस दौरान यदि आपने गंगा या उससे जुड़ी किसी सहायक नदी में मूर्ति विसर्जन करने की योजना बनाई है, तो इसका परिणाम जुर्माना हो सकता है. बिहार सरकार ने गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण में बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए राज्यों में विभिन्न बिंदु वाला दिशा-निर्देश जारी किया है. जिसमे मूर्ति विसर्जन करने पर ग्रामीण इलाकों में 5,000 का आर्थिक दंड तो शहरी क्षेत्र में नियम तोड़ने पर 10,000 जुर्माना वसूलने का आदेश दिया है.
बता दें कि पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (Department of Environment, Forest and Climate Change) पॉल्यूशन बोर्ड की सिफारिश पर जुर्माने की राशि को बढ़ा सकता है. नीतीश सरकार (Nitish government) ने गजट का प्रकाशन कर दिया. मूर्तियों के निर्माण पर भी बड़ा फैसला लिया गया है. मूर्ति निर्माण घुलनशील पदार्थों से बनाना होगा. पेरिस ऑफ प्लास्टर जैसे अघुलनशील पर पाबंदी लगाई गई है.
जारी दिशा-निर्देश
मूर्तियों को प्राकृतिक सामग्री और पारंपरिक मिट्टी, बांस, आदि से बनाया जाएगा.
मूर्ति निर्माण में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) का उपयोग नहीं किया जाएगा.
मूर्तियों की रंगाई के लिए जहरीले और गैर-जैव विघटनीय रासायनिक रंगों और कृत्रिम उपयोग नहीं किया जायेगा.
मूर्तियों को पानी में घुलनशील और गैर विषैले प्राकृतिक रंगों से रंगा जाएगा.
मूर्ति के ऊपरी ढांचे की ऊंचाई 40 फीट से कम होनी चाहिए और मूर्ति भी 20 फीट से अधिक ऊंची नहीं होनी चाहिए.
पूजा सामग्री जैसे फूल और कागज और प्लास्टिक से बनी अन्य सजावटी सामग्री को मूर्तियों के विसर्जन से पहले हटाया जाना चाहिए और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली, 2016 के अनुसार निपटान के लिए जैव-विघटनीय सामग्रियां अलग से एकत्र की जानी चाहिए.
मूर्ति को निर्धारित विसर्जन स्थल,कृत्रिम तालाब में विसर्जित करने के लिए नियम 7 (ख) के तहत पूजा समिति के लिए चिन्हित किया जाना है.
सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था करना.
मूर्ति विसर्जन के संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, नई दिल्ली द्वारा बनाए गए दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना है.
मूर्तियों के निर्माण और ऊपरी संरचना को खड़ा करने में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) का उपयोग में नही लाना है.
मूर्तियों के निर्माण और ऊपरी संरचना के निर्माण में पारा, कैडमियम, आर्सेनिक, शीशा और प्रीमियम जैसी जहरीली भारी धातुओं वाले कृत्रिम रंग का उपयोग नहीं करना है.
विसर्जन के समय मूर्ति विर्सजन की प्रक्रिया के संबंध में जिला प्रशासन द्वारा जारी सभी निर्देशों, जिसमें मूर्ति विसर्जन से संबंधित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, नई दिल्ली द्वारा जारी दिशा-निर्देश शामिल होंगे.
पूजा समिति पूजा समिति जो त्योहारों का आयोजन करती है और उसके द्वारा बनाए गए पंडालों में या उनके निर्देश पर किसी और व्यक्तियों के माध्यम से मूर्तियों को बनवाती है, इन नियमों के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन के लिए उतरदायी होगी और पर्षद इस तरह के उल्लंघन के लिए नियम-11 के अनुसार दंड लगा सकता है.
अन्य जरूरी निर्देश
मूर्तियों के विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाबों को इतनी संख्या में बनाना होगा, जो भीड़भाड़ से बचने और प्रदूषणन के भार को कम करने के लिए पर्याप्त हो.
पूजा समिति के साथ कृत्रिम तालाबों, विसर्जन स्थल को टैग और चिन्हित करना है.
कृत्रिम तालाबों, विसर्जन स्थलों को अधिसूचित करना और मूर्ति विसर्जन की ऐसी घटनाओं से एक महीने पहले जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से जनता और प्रत्येक पूजा समिति को सूचित करना है.
यह सुनिश्चित करना कि कृत्रिम तालाबों, विसर्जन स्थलों में मूर्तियों का विसर्जन पुलिस प्राधिकार द्वारा निर्धारित समय सारिणी के अनुसार किया जाएगा.
विसर्जन स्थल पर जनित ठोस कचरा जैसे फूल, कपड़ा, सजावट सामग्री आदि को जलाने पर रोक लगाना है.
यह सुनिश्चित करना कि मूर्तियों के विसर्जन के 48 घंटे के भीतर, मूर्तियों का अवशेष संचित मलबा, पुआल या जूट के तार आदि और मूर्तियों के विसर्जन से संबंधित अन्य सभी अवशिष्ट पदार्थों को हटा दिया जायेगा और ठोस कचरे संग्रह स्थल पर पहुंचाया जायेगा, यदि इसे मूर्ति निर्माताओं या अन्य लोगों द्वारा पुनः उपयोग के लिए एकत्र नहीं किया जाता है.
यह सुनिश्चित करना कि विसर्जन से पहले जैव विघटनीय सामग्री को हटा लिया गया है और संबंधित स्थानीय निकाय इन सामग्रियों का उपयोग खाद और अन्य उपयोगी उद्देश्यों के लिए कर सके.
पूजा समिति का औचक निरीक्षण करना जो त्योहारों का आयोजन करती है और उनके द्वारा बनाये गये पंडालों में मूर्तियां बनाती है ताकि उनके द्वारा की गई घोषणा को सत्यापित किया जा सके.
पूजा समिति और संगठन द्वारा इन नियमों के किसी भी उल्लंघन की प्रतिवेदन पर्षद को देना.
उचित अधिकार क्षेत्र में स्थित नदी या अन्य जल निकाय के किनारे की सफाई के लिए पूजा समिति,समितियों पर शुल्क लगाना.