कैमूरः कैमूर जिले से एक खबर सामने आ रही है जिसमें सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा धान घोटाला हुआ है. सरकारी बाबू और मिलरों ने मिलकर सरकार को इस दौरान 70 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाया है. 


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कैमूर जिले में हुए धान घोटाले में पदाधिकारी और मिलरों ने 70 करोड़ रुपए डकार लिए. फिर भी अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है. सरकारी स्तर पर हुए विभागीय जांच में चारा घोटाले की तरह ही कैमूर में धान घोटाले का मामला सामने आया है. जहां फर्जी वाहनों पर भी धान की ढूलाई दिखा करोड़ों रुपए गबन किए गए. फिर भी जिले के अधिकारी सरकारी राशि वसूली को लेकर कोई करवाई नहीं कर रहे हैं. इधर सरकार को चूना लगाने वाले अधिकारी और मिलर इससे मालामाल हुए हैं. सबसे अधिक घोटाला सत्र 2013-14 में राज्य खाद्य निगम के कैमूर जिला प्रबंधक अरविंद कुमार मिश्रा के कार्यकाल में हुआ. जहां 50 करोड़ रुपए का घोटाला कर लिया गया. 


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कैमूर जिले में धान घोटाला लगातार बढ़ता जा रहा है. राज्य खाद्य निगम द्वारा सत्र 2012-13 से लेकर 2016-17 तक 21 मिलरों पर धान घोटाला मामला को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. जिसमें इन मिलर पर सरकार का 70 करोड़ 72 लाख 5 हजार 669 रुपए का धान गबन करने का आरोप लगाया गया था. लापरवाही बरतने को लेकर राज्य खाद्य निगम के तत्कालीन जिला प्रबंधक अरविंद कुमार मिश्रा पर भी प्रपत्र डाला गया है. लेकिन सरकारी बाबुओं की लापरवाही इस कदर रही कि सत्र 2012-13 से लेकर अब तक इन मिलरों से सिर्फ 29 लाख 87 हजार 985 रुपए का हीं विभागी रिकवरी पाया गया है. वह भी सत्र 2012-13 में.


उसके बाद किसी भी सत्र में रिकवरी नहीं हुआ, लेकिन गबन बढ़ता चला गया. विभाग का अभी भी 70 करोड़ 42 लाख 17 हजार 684 रुपए बाकी है लेकिन सभी अधिकारी सरकारी राशि गबन के बाद भी चुप बैठे हैं. उस समय सत्र 2013-14 के तत्कालीन राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक अरविंद कुमार मिश्रा के ऊपर प्रपत्र क गठित हुआ था. जिनके रीजन में 50 करोड़ 19 लाख 92 हजार 134 रुपए का धान का गबन हुआ था. इसका जांच राज्य स्तर से भी सरकार करा रही थी. जिसमें राज्य खाद्य निगम के तत्कालीन जिला प्रबंधक अरविंद कुमार मिश्रा के ऊपर आरोप मानते हुए इनके ऊपर मुकदमा चलाने का निर्णय लिया है. 


अगर सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो सत्र 12-13 में 8 करोड़ 49 लाख 12 हजार 106 रुपए के धान का गबन हुआ था. जिसमें विभाग द्वारा 29 लाख 87 हजार 985 रुपया ही मात्र वसूली कर पाया था. वहीं सत्र 2013-14 में 50 करोड़ 19 लाख 92 हजार 134 रुपया का गबन हुआ लेकिन आज तक इस राशि की वसूली नहीं हो पाई. सत्र 2014-15 में 9 करोड़ 60 लाख 94 हजार 449 रुपये के गबन का प्राथमिकी दर्ज हुआ लेकिन वसूली शून्य रहा. उसी तरह 15-16 में 75 लाख 15 हजार 71 रुपए का गबन हुआ वसूली शून्य रहा और वहीं सत्र 2016-17 में 2 करोड़ 20 लाख 91 हजार 907 रुपए का गबन हुआ लेकिन वसूली शून्य रहा. इस तरह 2012-13 से लेकर अब तक 70 करोड़ 72 लाख 50 हजार 669 रुपया का गबन हुआ और वसूली मात्र 29 लाख 87 हजार 985 रुपया ही हो पाया.  इस तरह विभाग का अभी भी 70 करोड़ 42 लाख 17 हजार 684 रुपया मिलरों के ऊपर बकाया है.


जिला खाद्य प्रबंधक राजीव कुमार बताते हैं कि सत्र 2012-13 से 16-17 तक मिलरों के ऊपर काफी पैसा बकाया है, 21 मिलरों पर प्राथमिकी दर्ज कराया गया था. उस समय के तत्कालीन जिला प्रबंधक अरविंद कुमार मिश्रा सहित 16 कर्मियों के ऊपर प्रपत्र क गठित हुआ था, आगे की कार्रवाई जारी है.