Patna: कोरोना (Corona) की वजह से लंबे समय के बाद स्कूल तो खुले हैं, लेकिन स्कूल में शिक्षकों की कमी साफ दिखाई दे रही है. कमरों के अभाव में एक कमरे में दो से तीन क्लास के स्टूडेंट बैठे हैं. छात्रों के पास न तो स्कूल की यूनिफॉर्म है और न ही पाठ्य पुस्तक.  


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सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अरबों-खरबों रुपये पानी की तरह बहा रही है और बालिका शिक्षा और महादलितों की शैक्षणिक स्थिति को सुधारने का दावा कर रही  है. इसके बावजूद जमीनी हकीकत कुछ और ही है.  राजधानी पटना के बिक्रम इलाके में बच्चों के लिए मिड डे मिल, पोशाक, छात्रवृति सहित अन्य सरकारी योजनायें लागू तो हैं, लेकिन इन योजनाओं का सही लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है. 


जानें शिक्षा के 'असल' हालात 


बिक्रम प्रखंड के हरपुरा गांव स्थित हाईस्कूल का संचालन सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक होता है, लेकिन इसके बाद भी यहां बच्चे आप को 10 बजे तक खेलते हुए दिखाई देते हैं. इस दौरान जब शिक्षक से स्कूल के हालात को लेकर बात की गई , तो उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से काफी समय बाद स्कूल खुला है. इस वजह से स्कूल की यूनिफार्म और मिड डे को लेकर दिक्कत है. 


विद्यालय में एक और शिक्षक मोहम्मद अनीसुर्रहमान ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि ये क्लास पहली से दसवीं तक विद्यालय है, लेकिन यहां सिर्फ पांच कमरे हैं और लगभग 300 छात्र-छात्राएं हैं.  इस विद्यालय को माध्यमिक विद्यालय में उत्क्रमित तो कर दिया लेकिन शिक्षकों की संख्या नहीं बढ़ी.  सिर्फ तीन शिक्षकों के सहारे यहां के बच्चों का भविष्य संवारा जा रहा है. 


वहीं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कृष्ण कुमार चौधरी ने कहा कि शिक्षकों की कमी सभी विद्यालयों में है. सरकार की ओर से नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है. वहीं, जो शिक्षक नियमित रूप से नहीं जा रहे उनपर कार्रवाई होगी .


(मीना बिष्ट)