नालंदा: Yashwant Sinha:विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित किए गए यशवंत सिन्हा का नालंदा भले ही जन्मस्थली नहीं रहा हो, लेकिन यहां से उनका बेहद पुराना नाता  रहा है. यशवंत सिन्हा का पैतृक घर नालंदा जिला के ओंदा गांव है. जर्जर अवस्था में हो चुकी मकान उनके नालंदावासी होने की गवाही दे रही है. उनके रिश्तेदार बताते हैं कि उनसे कभी मुलाकात नहीं हुई. वहीं यहां के ग्रामीणों का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री थे और उनके ही कोशिश से बिहारशरीफ से शेखपुरा के लिए एक रेल लाइन बनाई गई. जो की ओंदा होते हुए गुजरी. 


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1984 में छोड़ी प्रशासनिक सेवा
ग्रामीणों के मुताबिक, उस समय सीएम नीतीश कुमार रेल मंत्री हुआ करते थे. बिहार-कैडर के आईएएस अधिकारी यशवंत सिन्हा बिहार में ही पैदा हुए थे. यशवंत सिन्हा ने 1984 में प्रशासनिक सेवा छोड़ दी थी और जनता पार्टी में शामिल हो गए थे. जनता पार्टी के नेता चंद्रशेखर उन्हें बहुत पसंद करते थे. सिन्हा ने बिहार के तात्कालीन मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता कर्पूरी ठाकुर के प्रधान सचिव के रूप में भी काम किया था. सिन्हा 1988 में राज्यसभा के सदस्य बने और चंद्रशेखर सहित कई विपक्षी नेताओं ने 1989 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस से मुकाबला करने के लिए जनता दल के गठन के लिए हाथ बढ़ाया. बाद में सिन्हा ने अपने राजनीतिक गुरु की राह पर चलते हुए वी. पी. सिंह सरकार को गिराने के लिए जनता दल को तोड़ दिया था.


ऐसा रहा है राजनीतिक करियर
यशवंत सिन्हा ने करीब ढाई दशक तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने राजनीति में एंट्री ली. उन्होंने 1986 में जनता पार्टी ज्वाइन कर कर ली. उन्हें पार्टी का महासचिव पद दिया गया. वह 1988 में पहली बार राज्यसभा सदस्य के लिए चुने गए. साल 1989 में उनकी पार्टी का जनता दल से गठबंधन होने के बाद उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया. वह 1990-91 में चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री के पद पर भी रहे. फिर वह 1998 से साल 2002 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री रहे. उन्होंने 2002 में विदेश मंत्रालय का पद भी संभाला. यशवंत सिन्हा ने 2009 को भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. साल 2018 में बीजेपी छोड़ने के बाद 2021 में वह ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी में शामिल हो गए.


 


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