पटना: RRB-NTPC परीक्षा के रिजल्ट को लेकर जारी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले एक हफ्ते से जारी प्रदर्शन अब धीरे-धीरे हंगामे की शक्ल लेता जा रहा है. सोशल मीडिया से होता हुआ ये प्रदर्शन अब सड़कों और रेलवे ट्रैक पर पहुंच चुका है. परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों का गुस्सा इस कदर भड़क गया है कि वो अब किसी की सुनने को तैयार नहीं हैं. जिस आंदोलन को एक हफ्ते पहले सरकार और रेल मंत्रालय की तरफ से नजरअंदाज किया जा रहा था, वो अब सरकार और रेल प्रशासन के लिए कठिन चुनौती बन गया है.


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अलग-अलग थानों में FIR दर्ज
इस बीच छात्रों की नाराजगी बढ़ती देख सरकार ने उनकी शिकायतों का संज्ञान जरूर लिया है. रेल मंत्रालय ने इस मामले छात्रों की शिकायत को गंभीरता से लेने की बात कही है और छात्रों से कानून हाथ में न लेने की अपील की है. हालांकि शुरुआती तौर पर छात्र समझने को तैयार नजर नहीं आ रहे हैं. वहीं अलग-अलग थानों में कुछ नामजद और बड़ी संख्या में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर दी गई है. 


कई ट्रेनों में लगाई गई आग
RRB-NTPC परीक्षा के रिजल्ट को लेकर सबसे ज्यादा हंगामा बिहार में हो रहा है. सभी जानते हैं कि रेलवे भर्ती परीक्षा में देश के अन्य प्रदेशों की तुलना में बिहार के छात्रों की संख्या बहुत ज्यादा होती है. इसलिए इस परीक्षा से जुड़े किसी भी मामले की संवेदनशीलता सबसे ज्यादा बिहार में ही देखने को मिलती है. इस बार भी ऐसा ही हो रहा है. पूरे प्रदेश में RRB-NTPC लिखित परीक्षा के परिणाम को लेकर हंगामा मचा हुआ है. छात्रों ने रेलवे ट्रैक पर कब्ज़ा कर रखा है. कई ट्रेनों की सेवा बाधित हो चुकी है. दर्जनों ट्रेनों के रूट भी हंगामे की वजह से बदलने पड़े हैं. यहां तक कि कई ट्रेनों को प्रदर्शनकारी छात्रों ने आग के हवाले कर दिया.


कमेटी करेगी रिज़ल्ट में 'धांधली' की जांच
इस जोरदार हंगामे का असर फिलहाल इतना तो हो गया है कि सरकार ने मामले का संज्ञान ले लिया है. मामला बिगड़ता देख और केन्द्र सरकार की फजीहत होती देख, खुद केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को सामने आना पड़ा. रेल मंत्री ने मीडिया के सामने आकर कहा कि 'छात्रों की जो भी शिकायतें हैं उसे सरकार पूरी गंभीरता से ले रही है. हम अपने युवाओं को भरोसा देते हैं कि पूरे मामले की सही तरीके जांच होगी. हम आपकी पीड़ा को समझ सकते हैं, क्योंकि हम सब इस दौर से गुजर चुके हैं. परीक्षा परिणाम को लेकर जो भी शिकायतें हैं, उनको देखने के लिए एक कमेटी गठित कर दी गई है. ये कमेटी जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देगी.'


बिहार से दिल्ली तक पहुंची हंगामे की आंच 
रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा को लेकर भड़की चिंगारी अब बिहार से निकलकर दिल्ली तक पहुंच गई है. मामला सीधे तौर पर रेल मंत्रालय से जुड़ा है, इसलिए केन्द्र सरकार की ही पूरी जिम्मेदारी बनती है. दरअसल मामले में बिहार सरकार के हाथ में कुछ नहीं है, इसलिए जो कुछ भी अनहोनी हो रही है या आगे भी जो कुछ होगा, उसकी जिम्मेदारी केन्द्र सरकार के ऊपर आएगी. ऐसे में कई प्रदेशों में चुनाव को देखते हुए सरकार कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहेगी. मामला वैसे भी युवाओं से जुड़ा है और रोजगार का है, ऐसे में सरकार फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है.


दबाव में रोकी गई अगले दौर की परीक्षा
छात्रों के बढ़ते गुस्से को देखते हुए रेल मंत्रालय ने न सिर्फ जांच कमेंटी का गठन किया है, बल्कि इस भर्ती प्रक्रिया के तहत होने वाली अगले दौर की परीक्षा भी स्थगित कर दी है. रेल मंत्री ने स्टूडेंट्स को भरोसा दिया है कि जब तक जांच कमेंटी अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती है, तब तक अगले दौर की परीक्षा को स्थगित रखा जाएगा. हालांकि आंदोलनकारी छात्र सरकार के इस कदम से बहुत खुश नजर नहीं आ रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें सरकार पर भरोसा नहीं है.


छात्र आंदोलन पर जमकर हो रही सियासत 
एक तरफ परीक्षा परिणाम को लेकर छात्रों का गुस्सा भड़का हुआ है, उस पर से मामले में राजनीति भी जमकर हो रही है. अलग-अलग प्रदेशों में होने वाले चुनाव की चिंता सिर्फ सत्तापक्ष को ही नहीं है, बल्कि विपक्ष भी इस मुद्दे को हाथ से जाने नहीं देना चाहता. विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है और आरोप लगा रहा है कि 'केन्द्र सरकार ने युवाओं के साथ वादाखिलाफी की है. लोकसभा चुनाव से पहले जो वादे आम जनता से BJP ने किए थे, वो पूरे नहीं किए गए. हर साल 2 करोड़ रोजगार देने की बात हुई थी, लेकिन यहां तो जो वैकेंसी निकली भी है उसमें भी धांधली की जा रही है. युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो गया है. ऐसे में प्रदर्शन करना ही उनके लिए एक रास्ता बचा है.'


'छात्रों को हिंसा के लिए विपक्ष भड़क रहा'
विपक्ष के इस तर्क पर सत्तापक्ष हमलावर है. BJP का कहना है कि 'गंभीर मसलों पर भी विपक्षी दल राजनीतिक रोटी सेंकने लगते हैं. छात्रों को हंगामे और हिंसा के लिए ये लोग भड़का रहे हैं. छात्र और युवा हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत हैं. उन्हें राह से भटकाना भी गुनाह है, इसलिए विपक्ष को ऐसा करने से बचना चाहिए.'


कोचिंग संचालकों ने नेताओं को चेताया 
वहीं सियासी दलों से हटकर बड़े-बड़े कोचिंग सेंटर चलाने वाले शिक्षक इस मामले को बेहद संवेदनशील मान रहे हैं. इन गुरुओं ने सियासी दलों से भी इस मामले में संवेदनशीलता बरतने की अपील की है. इन गुरुओं का कहना है कि 'ये युवा पीढ़ी ही हमारा भविष्य है. इन्हें संवारने के लिए हमें हर प्रयास करना होगा. अगर आज हमने इनकी आवाज को ताकत नहीं दी, तो कल ये रास्ता भटक सकते हैं. बड़े कठिन परिश्रम से ये रोजगार हासिल करते हैं, इसलिए किसी भी भर्ती परीक्षा को विवादों में नहीं पड़ना चाहिए. ये सुनिश्चित करना सरकार का काम है.'


वहीं समाज के तमाम बुद्धिजीवियों और गुरुओं ने आंदोलन कर रहे युवाओं से भी अपील की है कि 'शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज उठाएं. हिंसा किसी भी आंदोलन की राह भटका देती है, इसलिए किसी भी सूरत में हिंसा का रास्ता न अपनाएं.'