Bihar Crime Series: दिन 13 जून 1998... देंवेंद्र दुबे (Devendra Dubey) की हत्या के महज 9 महीने बीते थे. जरायम की दुनिया ने उत्तर बिहार के 'शहंशाह' कहे जाने वाले को भी नहीं बख्शा. हत्या उस वक्त कर दी गई, जब वे अस्पताल में भर्ती थे. इस घटना से बिहार ही नहीं, बल्कि देश भी दहल गया था. बृज बिहारी (Brij Behari Prasad) की हत्या के तार गोरखपुर के माफिया डॉन श्री प्रकाश शुक्ला से भी जुड़े, जो उस वक्त यूपी का सबसे बड़ा डॉन था. कहते हैं कि खतरे का आभास उन्हें हो गया था और इसी वजह से उन्होंने खुद को गिरफ्तार करवा लिया था और फिर सीने में दर्द की शिकायत कर अस्पताल में भर्ती हो गए थे. पूर्वी चंपारण से लेकर मुजफ्फरपुर तक अपना साम्राज्य स्थापित करने वाले और मोतिहारी के माफिया डॉन देवेंद्र दुबे के आपराधिक साम्राज्य को खत्म करने वाले इस 'शहंशाह' के खात्मे के तार उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से जुड़े. हम बात कर रहे हैं बिहार सरकार में (Brij Behari Prasad) मंत्री रहे और तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दाहिना हाथ रहे बृज बिहारी प्रसाद की. आज आप जानेंगे कि अस्पताल में फुलप्रूफ सुरक्षा के बाद भी कैसे एक मंत्री को गोलियों से भून दिया गया.


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90 के दशक में बाहुबलियों का एक दौर 


बिहार (Bihar) में 90 के दशक में बाहुबलियों का एक दौर था. बृज बिहारी प्रसाद हत्‍याकांड इसकी एक बनगी भर थी. बिहार में उन दिनों अपराधी जातीय गुट में बंट हुए थे. छोटन शुक्ला भूमिहार समुदाय से गैंगस्टर थे, जबकि बृज बिहारी प्रसाद (Brij Behari Prasad) एक बनिया थे. हालात ऐसा था कि गैंगवार अपने चरम पर थी. उस वक्त उत्तरी बिहार अपराधियों का गढ़ माना जाता था. हर तरफ केवल अपने वर्चस्व की जंग छिड़ी थी. माहौल ऐसा हो गया था कि हर कोई एक दूसरे के खून का प्यासा था. दरअसल, बृज बिहारी प्रसाद की कहानी 90 के दशक में शुरू होती है. बृज बिहारी प्रसाद की एंट्री कॉलेज के दौर में हुई और राजनीतिक में दिलचस्पी होने की वजह से बृज बिहारी प्रसाद आगे चलकर मंत्री बने थे. बाहुबली छोटन शुक्ला और बृज बिहारी (Brij Behari Prasad)  के बीच वर्चस्व की जंग को लेकर बहुत बढ़ गई थी. दोनों के बीत तनातनी इतनी बढ़ गई थी कि सामने एक दूसरे के आमने-सामने आ जाए तो कोई किसी की भी लाश गिरा देता.


छोटन दुनिया से रुख़्सत, शुक्ला गैंग की भुटकुन शुक्ला के हाथों में कमान 


बृज बिहारी प्रसाद (Brij Behari Prasad) और छोटन शुक्ला (Chhotan Shukla) की दुश्मनी में बातचीत का कोई विकल्प नहीं बचा था...बस केवल लाशें गिरना ही बाकी था. कहा जाता है कि छोटन शुक्ला (Chhotan Shukla) ने पहले बृज बिहारी को बड़ी चोट दी, फिर बृज बिहारी प्रसाद ने छोटन शुक्ला (Chhotan Shukla) को दर्द ही नहीं दिया, बल्कि छोटन शुक्ला को दुनिया से उठा दिया. दरअसल, साल1994 में छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई थी. हत्या का आरोप बृज बिहारी प्रसाद पर (Brij Behari Prasad) लगा था. छोटन शुल्का के दुनिया से रुख़्सत होने के बाद शुक्ला गैंग की कमान भुटकुन शुक्ला के हाथों में आ गई. गैंग की कमान संभालने के बाद उसने बृज बिहारी के खास आदमी कहे जाने वाले ओमकार सिंह की हत्या में कर दी. इस बीच प्रसाद (Brij Behari Prasad) राबड़ी सरकार (Rabri Sarkar) में मंत्री बन गए थे. साल 1998 में ही भुटकुन शुक्ला की भी हत्या कर दी जाती है और इस हत्याकांड से पूरे बिहार को एक फिर से हिला कर रख दिया था. 


लालू यादव के करीबी होने से बृज बिहारी का था रूतबा


अब खतरा बिहार सरकार में मंत्री रहे बृज बिहारी प्रसाद भी था, लेकिन लालू प्रसाद यादव के करीबी होने के वजह से उनका रूतबा बहुत ज्यादा था. बिहार के स्थानीय मीडिया के अनुसार, बृज बिहारी प्रसाद ने ऊंची जाति के ताकतवर लोगों के खिलाफ कई पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित की, जो अपने प्रभाव और बाहुबल के कारण अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों पर हावी थे. इनमें मुन्ना शुक्ला शामिल हैं, जो प्रसाद के उम्मीदवार केदार गुप्ता से हार गए थे और रघुनाथ पांडे, जो मुजफ्फरपुर निर्वाचन क्षेत्र से बिजेंद्र चौधरी से हार गए थे. प्रसाद के उम्मीदवार बसावन भगत, महेश्वर यादव और रामविचार राय भी अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों से विजयी हुए थे, उनके राजनीतिक प्रभाव का चरमोत्कर्ष तब देखने को मिला जब उनकी पत्नी रमा देवी ने मोतिहारी से राधा मोहन सिंह को हराया था.


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BECEE घोटाले में गिरफ्तार, हत्या का यूपी कनेक्शन!


हालांकि, बृज बिहार प्रसाद को पहले BECEE घोटाले में उनकी संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था और वह इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना में इलाज करा रहे थे. जब वह बिहार सैन्य पुलिस के कमांडो से घिरे अपने वार्ड के बाहर टहल रहे थे, तो एक व्यक्ति अपने रिश्तेदार के इलाज में उनका पक्ष लेने के लिए उनके पास आया. बृज बिहारी प्रसाद (Brij Behari Prasad) ने अपने एक आदमी को डॉक्टर से बात करने को कहा, ताकि इलाज सही तरीके से हो सके. इसके बाद वह पार्किंग के एक हल्की रोशनी वाले कोने की ओर चले गए. जब कमांडो पार्किंग स्थल की ओर उनके पास आए, तो एक राजदूत कार उनके पास रुकी और कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने प्रसाद और उनके लोगों पर गोलियां चला दीं. तीन कर्मियों की मौके पर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई और उनके निजी अंगरक्षक लहमेश्वर शाह को छोड़कर अन्य भाग गए, जिनकी भी मौके पर ही मौत हो गई. कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश के तब के सबसे बड़े डॉन श्री प्रकाश शुक्ला ने बृज बिहारी की हत्या की थी. तब कहा गया कि श्री प्रकाश शुक्ला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री की हत्या करने की सुपारी ले ली है. बिहार सरकार में मंत्री रहे बृज बिहारी की हत्या के 4 महीने बाद यूपी एसटीएफ ने श्री प्रकाश शुक्ला को एक एनकाउंटर में मार गिराया था.  


बृज बिहारी हत्‍याकांड के सभी आरोपी कोर्ट से बरी


पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्‍याकांड के सभी आरोपियों को पटना हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था. सीबीआई सबूतों को प्रमाणित नहीं करा पाई थी. इस तरह से 13 जून,1998 को पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्‍थान में हुई बृज बिहारी की हत्‍या की डायरी बंद हो गई है. कहा जाता है कि अपराध की उम्र ज्यादा नहीं होती है, जो भी इस दलदल में आया उसका अंजाम बेहद खौफनाक रहा. इसी तरह की क्राइम की कहानी जानने के लिए आप जी बिहार झारखंड से जुड़े रहिए. हम आपके लिए इस क्राइम सीरीज में अपराध जगत के कई खौफनाक कहानियों को ऐसे ही लाते रहेंगे...नमस्कार..!!!