पटना : राजधानी पटना और बिहार के अन्य जिलों में बेनकाब हुए PFI और पाकिस्तानी साजिश की जांच अब NIA के हाथों में चली गई है, इस पूरे मामले में  जांच की गति बेहद तेज हो गई है लेकिन जिस तरह से राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ और बिहार के अन्य जिलों से आतंक का मॉड्यूल बेनकाब हुआ है वह बेहद चौंकानेवाला है. 


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खतरनाक थे आतंकियों को मंसूबे 
इस सब में सबसे हैरान और चिंताग्रस्त कर देने वाली बात बाद यह है कि आतंकी साजिश में भारत को तबाह करने का तो पूरा खाका तैयार किया ही गया है खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने का आतंकियों का मंसूबा पूरी तरह से बेनकाब हो चुका है. 


पीएम मोदी के खिलाफ भी आंतकी रच रहे थे साजिश 
11 जुलाई को राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ इलाके से अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन की गिरफ्तारी हुई, तब पुलिस से लेकर मीडिया तक को लगा कि यह दो लोगों की गिरफ्तारी उनके आतंकी कनेक्शन तक ही सिमटी हुई है. इसके बाद जैसे-जैसे पिछले 1 सप्ताह में इस मामले की जांच आगे बढ़ी वैसे-वैसे भारत के खिलाफ, देश के नागरिकों के खिलाफ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बड़ी साजिशों का खुलासा होने लगा. 


पाकिस्तान की तरफ से रची गई थी यह साजिश, हुआ खुलासा  
शुरुआती दौर में पुलिस ने PFI के संदिग्ध चरित्र को लेकर मामले की जांच शुरू की, लेकिन ज़ी बिहार झारखंड ने पहले ही बता दिया था कि यह सिर्फ साजिश नहीं बल्कि एक फुलप्रूफ पुख्ता प्लान है जिसके मास्टरमाइंड पाकिस्तान में बैठे हुए हैं और यह सारा मॉड्यूल राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ से संचालित हो रहा है. शुरुआती दौर में ही इस बात की तस्दीक कर दी गई थी कि फुलवारी शरीफ में देश विरोधी साजिश तो हो ही रही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को लेकर भी यहां पर किसी तरह की साजिश की बू आ रही है. नूपुर शर्मा को लेकर जो साजिश चल रही थी हमने पहले ही बता रखा था और यह भी बताया था कि पाकिस्तान से इस पूरे मामले का कनेक्शन है लेकिन शुरुआती दौर में पुलिस ने सारी बातों को नकार दिया. बाद में जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई इस खबर पर मुहर भी लगती गई. प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश भी बेनकाब हुई,नूपुर शर्मा के खिलाफ साजिशों का पर्दाफाश हुआ और पाकिस्तान का सारा भांडा फोड़ हो गया. 


पीएम मोदी के बिहार के दौरे के वक्त हुआ इस आतंकी मॉड्यूल का खुलासा
दरअसल पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब 12 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक दिवसीय पटना दौरा था. जहां पर वह विधानसभा में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए पहुंचने वाले थे. लिहाजा सारी सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर थीं और पटना पुलिस भी अलर्ट पर थी. इसी दौरान 11 जुलाई को फुलवारी शरीफ के एएसपी मनीष कुमार को इलाके के नया टोला मोहल्ले में कुछ संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिलती है. इसके बाद एएसपी फोन पर एक टीम गठित करते हैं और नया टोला में मोहम्मद जलालुद्दीन के अहमद पैलेस स्थित आवास पर पहुंचते हैं और वहां पर जब सारी चीजों की छानबीन होती है तो पता चलता है कि नया टोला में आतंक का नया मॉड्यूल तैयार हो रहा था. 


पाकिस्तान के कई आंतकी संगठनों से जुड़े हैं इन आतंकियों के तार 
अहमद पैलेस से मोहम्मद जलालुद्दीन और अतहर परवेज की गिरफ्तारी होती है. इसके बाद उनकी शिनाख्त पर अरमान मलिक की भी गिरफ्तारी होती है और उसके बाद खुलासा होता है साल 2047 के साजिश का, इसी कड़ी में जब पुलिस पूरी छानबीन कर रही होती है तो पुलिस को एक नंबर संदिग्ध प्रतीत होता है और जब पुलिस जांच करती है तो यह नंबर पाकिस्तान से कनेक्टेड मिलता है. इस नंबर पर जो शख्स संपर्क में पाया जाता है उसका नाम मोहम्मद मरगूब अहमद दानिश होता है. शुरुआती दौर में तो दानिश पुलिस को बरगलाने की कोशिश करता है और खुद को मानसिक तौर पर बीमार साबित करने की कोशिश करता है लेकिन इसकी साजिश तो और भी खतरनाक निकलती है. यह पाकिस्तान के 'गजवा-ए-हिंद' से लेकर कट्टरपंथी संगठन 'तहरीके लब्बैक' से भी जुड़ा हुआ होता है.


बिहार के 19 जिले पीएफआई से प्रभावित
परत दर परत मामले खुलते जाते हैं और कई सारे साजिशों का भंडाफोड़ होता है और तब जाकर पता चलता है कि बिहार के 19 जिले पीएफआई से प्रभावित हो चुके हैं. जहां पर मार्शल आर्ट और अन्य परंपरागत हथियारों की ट्रेनिंग के नाम पर आतंक की फैक्ट्री चलाई जा रही है. जिसमें युवकों को यह ट्रेनिंग दी जाती है कि चाकू कहां मारने से 2 मिनट में मौत हो जाएगी, सर पर डंडा कहां पड़ेगा तो आदमी पल भर में दम तोड़ देगा और हत्या के लिए कहां पर वार होगा तो आदमी सांस भी नहीं ले सकेगा. यह तो बात हो गई परंपरागत हथियारों की लेकिन बंद कमरे में भटके युवाओं को आयरन की भी ट्रेनिंग बकायदा ह्यूमन एनाटॉमी पर दी जाती थी कि कहां गोली मारने पर सटीक निशाना लगेगा और कहां गोली मार देने से आदमी की मौत चंद सेकेंड में हो जाएगी. 


PFI को कई देशों से हो रही थी साजिश के लिए फंडिंग 
पूरे मामले की छानबीन में हमें यह पता चला कि दोहा की एक संस्था जिसका नाम रास लाफेल है वह PFI की फंडिंग किया करती है और पैन इंडिया मूवमेंट चलाने का भी पर्दाफाश हुआ है. जिसके तहत यह संस्था पूरे देश में फैले 12 लोगों की टीम के जरिए मुस्लिम बहुल स्कूल और कॉलेजों में टैलेंट सर्च के नाम पर बच्चों और युवाओं को चयनित करते और फिर उन्हें ब्रेनवाश के जरिए देश विरोधी गतिविधियों में शामिल करते थे. 


वहीं 'गजवा-ए-हिंद' से ताल्लुक रखने वाले मरगूब अहमद दानिश से भी खुलासे में इस बात का पता चला है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंकियों के निशाने पर हैं. पाकिस्तान इसके पीछे है और जब एक्सपर्ट ने दानिश के मैसेज को डिकोड किया तो पता चला है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हाईजैक करने तक की योजना थी. 


बिहार बन गया है आतंकियों का सुरक्षित पनाहगाह 
अब सवाल यह उठता है कि बिहार में पिछले डेढ़ दशक से लगातार आतंकियों का पर्दाफाश हो रहा है. बिहार आतंकियों का सिर्फ पनाहगाह नहीं बन रहा है बल्कि फुलवारी शरीफ से आतंक की फैक्ट्री चलाई जा रही है और बिहार पुलिस हेड क्वार्टर और खुफिया तंत्र इसको समझने में नाकाम साबित हो रही है. जिस पर पूर्व डीजीपी अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि पुलिस और जांच एजेंसियों में तालमेल की कमी है. जिसकी वजह से बिहार में आतंकी फल-फूल रहे हैं क्योंकि बिहार बांग्लादेश और नेपाल के बॉर्डर से जुड़ा हुआ है लिहाजा यह आतंकियों के लिए सेफ पैसेज है.


वहीं जाने-माने सामाजिक विश्लेषक संजय कुमार का कहना है कि बिहार में अशिक्षा और बेरोजगारी की वजह से मुस्लिम युवाओं को गलत राह पर ले जाना आतंकियों के लिए बेहद आसान है. इसके साथ ही पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों में आपसी तालमेल की कमी की वजह से बिहार में आतंक की फैक्ट्री लगातार आगे बढ़ रही है और एक खतरनाक मॉड्यूल पर वो काम कर रहे हैं. 


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अब ऐसे में जरूरत है कि आतंकी फैक्ट्री को समय रहते ध्वस्त किया जाए ताकि देश की एकता और अखंडता बनी रहे और भारत की पहचान पर कोई खतरा ना मंडराए. 


(रिपोर्ट- रितेश मिश्रा, पटना)