Bihar: एक तरफ देश मना रहा आजादी का अमृत महोत्सव, दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर लोग लगा रहे इस रूट पर ट्रेन चलाने की गुहार
एक तरफ देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है वहीं देश के कई ऐसे हिस्सा भी हैं जो सड़क, रेल मार्ग से कोसों दूर हैं. यहां रेल की पटरियां तो अभी तक पहुंची ही नहीं.
saharsa forbesganj darbhanga rail route: एक तरफ देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है वहीं देश के कई ऐसे हिस्सा भी हैं जो सड़क, रेल मार्ग से कोसों दूर हैं. यहां रेल की पटरियां तो अभी तक पहुंची ही नहीं. रोल की सीटी की आस में कान लगाए बैठे कई बूढ़ों को कब मौत ने अपने आगोश में ले लिया पता ही नहीं चला, इन 75 सालों में कई युवा नस्ल फसल एकदम जवानी की दहलीज पर पहुंची तो कई समाप्त हो गई. लेकिन बता दें कि बिहार में एक रेल रूट ऐसा भी है जहां रेल के परिचालन की मांग अब सोशल मीडिया के जरिए उठने लगी है.
दरअसल सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड पर 15 साल बाद और दरभंगा-फारबिसगंज रेल रूट पर 89 वर्ष बाद ही सही यहां ट्रेन परिचालन के लिए सभी तैयारी तो हो गई है लेकिन ट्रेन चलेगी कब इसका तो कोई पता ही नहीं है. इस रूट पर इतने सालों बाद ही सही रेलवे की तरफ से सभी किस्म के सुरक्षा जांच के साथ सभी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली गई हैं लेकिन ट्रेनों का परिचालन अभी तक शुरू नहीं हो पाई है.
ऐसे में अब इस इलाके में लोगो के द्वारा आंदोलन की तैयारी की जा रही है इसको लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है. ऐसे में अब ट्वीटर के जरिए सीमांचल समेत कोसी और मिथिलांचल के लोग सरकार और रेल प्रशासन के खिलाफ 16 अप्रैल को आवाज बुलंद करने की तैयारी कर रहे हैं.
सहरसा-फारबिसगंज और दरभंगा-फारबिसगंज रेल रूट पर सारी सुरक्षा जांच कर 100 किलोमीट प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने की स्वीकृति जनवरी के महीने में ही दे दी गई थी. ऐसे में लोग इंतजार कर रहे हैं कि सहरसा-फारबिसगंज के बीच 15 साल बाद ही सही रेल सेवा तो शुरू हो और 89 साल बाद इससे दरभंगा-फारबिसगंज रेल रूट जुड़ जाएगा. इससे पूर्वोत्तर के राज्यों में जाने वालों के लिए नया मार्ग खुल जाएगा. इस रेल रूट का इस्तेमाल नेपाल से सटे इलाके में आपात स्थिति में किया जाएगा.
ऐसे में सीआरएस निरीक्षण हो जाने और क्लियरेंस मिल जाने के बाद भी तीन महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं होने से लोग गुस्से में हैं और उनका यह गुस्सा अब आंदोलन का रूप लेता नजर आ रहा है. #रेल_सेवा_चालू_करो के साथ इसे ट्रेंड कराकर पहले सरकार और रेल प्रशासन पर दबाव बनाने की तैयारी की जा रही है.