समस्तीपुर : Dr. Amitabh chandrayaan 3 scientist : चंद्रयान-3 ने बुधवार को चांद पर सफल लैंडिंग किया. भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. भारत के इस सफल अभियान के बाद पूरे विश्व में भारत का डंका बजा है. इसको लेकर देश भर में उत्साह और जश्न का माहौल है. इस बड़े और ऐतिहासिक अभियान में बिहार के समस्तीपुर जिले के वैज्ञानिक की भी अहम भूमिका रही है. समस्तीपुर जिले के पूसा प्रखंड के एक छोटे से गांव कुबौलीराम के अमिताभ इस अभियान के हिस्सा बने है. अमिताभ भारत के अंतरिक्ष मिशन अभियान चंद्रयान तीन की सफल लॉन्चिंग में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर और ऑपरेशन डायरेक्टर की भूमिका निभाई.


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अमिताभ की इस भूमिका से परिवार और गांव के लोगों में तो खुशी है ही वंही पूरे देश दुनिया मे भी अमिताभ की चर्चा हो रही है. अमिताभ चंद्रयान एक और दो के मिशन का भी हिस्सा रह चुके हैं. ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े अमिताभ गांव के सरकारी प्राइमरी, मिड्ल और हाई स्कूल से शिक्षा ग्रहण किया. अमिताभ के पिता रामचंद्र प्रसाद सिंह सेवानिवृत हेडमास्ट हैं. 87 वर्ष के राम चंद्र प्रसाद सिंह और 84 वर्षीय पत्नी शैल्य देवी गांव में अकेले ही रहती हैं. माता -पिता अपने पुत्र की कामयाबी पर फुले नहीं समा रहे हैं. वैज्ञानिक अमिताभ के सेवानिवृत पिता रामचंद्र प्रसाद सिंह बताते हैं कि चार बहनों के बाद अभिताभ सबसे छोटा है. उनकी शिक्षा दीक्षा गांव के स्कूल से शुरू हुई. अमिताभ ने गांव से ही प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूल तक की पढ़ाई की.


बता दें कि सर्वोदय हाई स्कूल से मैट्रिक करने के बाद Isc से Msc तक की पढ़ाई ए एन कॉलेज पटना से किया. फिर बीआईटी मेसरा से एमटेक किया, एमटेक के अंतिम वर्ष में उन्होंने प्रोजेक्ट वर्क के लिये इसरो के तीन केंद्रों को पर आवेदन दिया. 1999 में अमेरिका की रिसर्च कंपनी आरएमएसआई से जुड़े. वर्ष 2003 में क्लास वन साइंटिस के रूप में इसरो में उनका चयन हुआ. अमिताभ की पत्नी डॉ. ममता सिंह जोधपुर एम्स में कार्यरत हैं. अभिमात को एक बेटा और एक बेटी है, अमिताभ के परिवार का गांव में आना-जाना बहुत कम ही होता है. अमिताभ के पिता बताते हैं कि चंद्रयान तीन की सफल लॉन्चिंग के बाद रात में उनका फोन आया था. इस सफल ऑपरेशन से बहुत खुश थे. अमिताभ की मां गृहणी है, जो अपने पति के साथ गांव में ही रहती है. अपने बेटे की इस उपलब्धि से वो भी काफी खुश है. 


अमिताभ की मां बताती है कि मां- बाप की सेवा तो सभी करते है लेकिन उनका बेटा देश की सेवा कर रहा है. घर परिवार से दूर रहकर भी देश के लिए जी रहा है. इससे ज्यादा खुशी क्या होगी. वर्षों की मेहनत और लगन का फल मिला है. अमिताभ की मां बताती है कि मैट्रिक तक वो घर से स्कूल पैदल ही जाया करते थे. अमिताभ को बचपन से ही किताबों से दोस्ती थी. उनका ज्यादा वक्त किताबों के साथ गुजारता था. रात को पढ़ते-पढ़ते जब वह सो जाया करते तब उनके सिने से किताब हटाती थी.


इनपुट- संजीव नैपुरी 


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