दरभंगा: दरभंगा में एम्स की कॉन्ट्रोवर्सी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. हालात ऐसे हो गए है कि अब तो एम्स खुद अपनी दास्ता बयां कर रहा है. वर्ष 2015-16 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जब बिहार में दूसरे एम्स दरभंगा एम्स के निर्माण की घोषणा की, तब एनडीए कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़े के साथ यहां इस फैसले का स्वागत किया था. उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सत्तारूढ़ एनडीए राज्य सरकार ने भी केंद्र सरकार का इसके लिए आभार व्यक्त किया था।इधर पांच साल बाद वर्ष 2020 में चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय कैबिनेट ने दरभंगा एम्स बनाने की मंजूरी दे दी.


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दरभंगा महाराज की ओर से उस जमाने में 300 एकड़ जमीन डीएमसीएच के लिए दी गई थी, जिसमें नापी के दौरान 227 एकड़ जमीन मिली। वहीं करीब 73 एकड़ जमीन लापता हो गई. इधर दरभंगा एम्स के निर्माण को लेकर बिहार कैबिनेट ने डीएमसीएच की 200 एकड़ जमीन हस्तांतरित भी कर दी. इसी बीच कुछ डॉक्टरों एवं अन्य लोगों ने डीएमसीएच के अस्तित्व को बचाने को लेकर आवाज उठाई और फिर मुख्यमंत्री की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 200 एकड़ जमीन दरभंगा एम्स को दी जाएगी. वहीं 27 एकड़ जमीन डीएमसीएच को मिलेगी, वही दरभंगा डीएमसीएच के प्रिंसिपल और अधीक्षक ने जिलाधिकारी के समक्ष दरभंगा dmch की जमीन में से दरभंगा एम्स डायरेक्टर को 81 एकड़ जमीन हस्तांतरित कर दिया. इधर आंदोलन का क्रम चलता रहा और फिर एक बैठक हुई इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मंत्री संजय झा सहित अन्य लोग मौजूद रहे और इसमें 150 एकड़ दरभंगा एम्स और 77 एकड़ डीएमसीएच को देने का निर्णय लिया गया, लेकिन यह निर्णय कैबिनेट से उस समय पास नहीं हो पाया था. 


इधर केंद्र सरकार द्वारा दरभंगा एम्स के डायरेक्टर के रूप में डॉ. माधवानंद कार की प्रतिनियुक्त कर दी गई. प्रतिनियुक्त डायरेक्टर दरभंगा आए भी और सारी हकीकत को देखा. वहीं, दरभंगा एम्स का निर्माण कार्य आगे बढ़ाते हुए डीएमसीएच की चिह्नित जगह पर कई भवनों को तोड़ा गया और मिट्टीकरण का कार्य शुरू हुआ. एम्स के डायरेक्टर की सोच थी कि जब तक एम्स का अपना भवन नहीं मिलता तब तक कहीं भी जगह मिल जाए और दरभंगा एम्स में एमबीबीएस और पारा मेडिकल की पढ़ाई शुरू हो जाए. इसको लेकर इन्होंने दरभंगा पीटीसी को भी पत्र लिखा था लेकिन इसी बीच सियासत बदली और बिहार में एनडीए की जगह महागठबंधन की सरकार बनी और फिर दरभंगा एम्स का निर्माण भी राजनीति की भेंट चढ़ता हुआ नजर आया. इसी बीच करीब तीन महीने पहले समाधान यात्रा के क्रम में दरभंगा पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक नई जगह दरभंगा एम्स के लिए तलाशने की बात कही और फिर दरभंगा-एकमी बाईपास में बहादुरपुर प्रखंड के बलिया मौजे में शोभन बाईपास में दरभंगा एम्स के निर्माण की बात कहीं. एम्स निर्माण के लिए कार्यालय दरभगा आयुक्त कार्यालय भवन में 5 कमरे में खुल गया, जहां डायरेक्टर के साथ कुल 8 कर्मियों की प्रतिनियुति हुई जिसमें 5 केंद्र सरकार और तीन राज्य सरकार के कर्मी हैं. इधर दरभंगा एम्स के प्रतिनियुक्त डायरेक्टर डॉ. माधवानंद कार को जोधपुर एम्स का अतिरिक्त पदभार दे दी गयी.


वहीं, नई जगह की बात सामने आते ही भाजपा नेता अश्विनी चौबे एवं अन्य नेताओं ने इस बात का विरोध किया, लेकिन राज्य सरकार अपनी बात पर कायम रही और नई जगह पर मिट्टी भराई सहित अन्य काम के लिए टेंडर भी निकाला गया. मंत्री संजय झा ने उस समय बताया था कि दरभंगा बाईपास की चिह्नित जगह के बगल में खिरोही नदी है जिसकी गाद से दरभंगा एम्स की चिह्नित जगह पर मिट्टी भराई का काम हो जाएगा. साथ ही दीवार का भी निर्माण कार्य हो जाएगा. इधर केंद्रीय टीम समय-समय पर चिह्नित जगह का मुआयना करती रही और वहां पर निर्माण कार्य में आने वाले व्यवधान को लेकर बिहार सरकार को बताती रही. शोभन एकमी बाईपास में चिह्नित जगह पर भी टीम ने सर्वेक्षण किया और हाईटेंशन तार सहित कई तकनीकी खामियां बताते हुए दूर करने की बात बिहार सरकार को कही थी. इसी बीच पुनः आई केंद्रीय टीम ने शोभन एकमी बाईपास की जगह को लोलैंड और तकनीकी कारणों से रिजेक्ट करते हुए अन्य जगह तलाशने की बिहार सरकार को सलाह दी. 


इधर भाजपा के नेताओं ने कहा कि जदयू के 20 सांसदों ने प्रधानमंत्री को एक पत्र भेजकर दरभंगा एम्स को सहरसा शिफ्ट करने का अनुरोध किया है. इसके बाद सियासत का दौर शुरू हो गया. फिलहाल आरोप और प्रत्यारोप का दौर जारी है. जहां, बिहार सरकार केंद्र सरकार को दरभंगा एम्स के निर्माण में रोड़ा अटकाने की बात कह रही है वहीं केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दरभंगा एम्स के निर्माण में दिलचस्पी नहीं लेने की बात कर रहे हैं. इन सबके बीच दरभंगा एम्स का निर्माण खटाई में पड़ता हुआ नजर आ रहा है.


जदयू विधायक विनय चौधरी ने कहा की जो अश्विनी चौबे के नेतृत्व में धरना दिया था, जब डीएमसीएच के लिए जगह दिया गया था, उस समय भी वह विवाद खड़ा किया था, जब शोभन के लिए जगह दिया गया, तभ भी अश्विनी चौबे ने विवाद खड़ा किया था. अश्विनी चौबे जी जो सांसद महोदय के गुरु हैं गुरु दक्षिणा के फेरे में सांसद एवं अश्विनी चौबे जी मिलकर दरभंगा के विकास को रोक रहे है. नीतीश कुमार की स्पष्ट मनसा है की दरभंगा में एम्स बने,शोभन में एम्स बने. हम लोगों ने इसके लिए टेंडर निकाल दिया. इसके लिए 309 करोड़ का टेंडर मिट्टी भराई एवं बाउंड्री वॉल के लिए और जो उनका शर्त है उसके अनुरूप कार्य के लिए निकाल दिया.


इस बाबत स्थानीय प्रदीप गुप्ता ने कहा की दरभंगा एम्स पूर्ण रूप से राजनीति की भेंट चढ़ चुका है।वर्ष 2015 में इस एम्स की घोषणा हुई थी. अभी तक जितने एम्स की घोषणा हुई सभी का निर्माण हो चुका है,सिर्फ दरभंगा एम्स को छोड़कर इसमें तमाम पाटिया अपना दांवपेच खेल रही है. भू माफिया, हॉस्पिटल माफिया सारे लगे हुए है की दरभंगा में एम्स न बने. यहां दी गई 300 एकड़ जमीन में 73 एकड़ जमीन गायब हो गई. तब भी अभी काफी जमीन है इसे अभी भी लोग हड़प रहे हैं. फिर भी 150 एकड़ जमीन काफी है ।इसमें 81 एकड़ जमीन यह दे चुके हैं. हैंडओवर कर चुके है.  फिर 70 एकड़ जमीन देकर क्यों नहीं बनवा रहे हैं. यहां 3 फीट मिट्टी भरने में इन्हें 6 महीना लगा. वहां इन्हे 30 से 35 फीट मिट्टी भरना है. कहीं-कहीं 40 फीट मिट्टी भरना है, उसका कपएक्शन क्या होगा.


सांसद गोपाल जी ठाकुर ने नीतीश कुमार से कहा कि 81 एकड़ की जमीन पर अगर आप कार्य शुरू नहीं कराते हैं और रेस्ट जमीन आप नहीं देते हैं. तो हमारे जिला अध्यक्ष जी ने जैसा कहा है दरभंगा जिले के हर बूथ, पंचायत, ब्लॉक स्तर पर इस मुद्दे को तो हम लोग ले जाएंगे ही, साथ ही उत्तर बिहार में इसको लेकर जो आग सुलगैगी, उसे बिहार सरकार झुका नहीं सकती है. यह नीतीश सरकार को जानना चाहते हैं कि ऐसी गलती ना करें. साथ ही कहा कि नरेंद्र मोदी यहां शिलान्यास करने के लिए आने वाले थे, इसी के लिए साजिश के तहत राजनीति हुआ,ये लोग नरेंद्र मोदी जी को पचा नहीं पा रहे. हमने प्रधानमंत्री जी को कहा की यहां एक निदेशक दें. इससे कार्य आगे बढ़ेगा और उन्होंने महानिदेशक नियुक्त कर दिया. यहां 81 एकड़ जमीन हैंडओवर होने के बाद टेंडर एवं बाउंड्री वाल का काम होने वाला था.


इनपुट-  मुकेश कुमार 


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