बेगूसराय : बिहार सरकार एवं बेगूसराय जिला प्रशासन स्वास्थ्य विभाग चाहे लाख दावे कर ले लेकिन स्वास्थ्य विभाग के हालात अभी भी सवालों के घेरे में है. आए दिन यहां से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से कई लोगों की जान जाने की खबरें आती रहती है. वहीं अब जो खबर आ रही है वह तो बेहद चौंकानेवाली है. दरअसल इस बार शव के पोस्टमॉर्टम के लिए मृतक के परिजन तीन दिन तक भटकते रहे.  


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ट्रेन के शौचालय से मिला शव
मंगलवार को बांद्रा एक्सप्रेस के शौचालय में सफाई के दौरान एक व्यक्ति का शव मिलता है जिसे बरौनी जीआरपी अपने कब्जे में लेता है. शव की तलाशी के बाद प्राप्त कागजातों के आधार पर शव की पहचान उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर के बांसगांव थाना स्थित सकरवा गांव के रहने वाले सुनील कुमार के रूप में की गई. इसके बाद बरौनी जीआरपी के द्वारा मृतक के परिजनों को इस घटना की सूचना दी जाती है, लेकिन इसके बाद जो कुछ हुआ वह कहीं ना कहीं बेगूसराय जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग को कटघरे में खड़े कर रही है. 


शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया बेगूसराय सदर अस्पताल 
मंगलवार की सुबह सूचना मिलने के बाद मृतक के परिजन बेगूसराय पहुंचते हैं और बरौनी जीआरपी के सहयोग से शव को लेकर सदर अस्पताल बेगूसराय पोस्टमॉर्टम के लिए लाते हैं, लेकिन यहां पोस्टमॉर्टम नहीं किया जाता और पल्ला झाड़ते हुए पोस्टमॉर्टम के लिए शव को दरभंगा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है. तत्पश्चात दरभंगा मेडिकल कॉलेज से भी शव को वापस बेगूसराय भेज दिया जाता है. 


बेगूसराय सदर अस्पताल ने पोस्टमॉर्टम के लिए शव को दरभंगा भेजा 
इसके बाद  दोबारा बेगूसराय सदर अस्पताल में भी शव का पोस्टमॉर्टम नहीं हो पाता है. हालात यह है की पिछले 72 घंटे से मृतक के परिजन शव को लेकर सड़कों पर घूम रहे हैं लेकिन शव का पोस्टमॉर्टम अभी तक नहीं हो पाया है. भूखे प्यासे परिजनों का आरोप है कि प्रशासन की संवेदनहीनता की वजह से शव बद से बदतर स्थिति में पहुंच चुका है  और अब शव गलना शुरू हो गया है. 


दरभंगा मेडिकल कॉलेज से फिर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए बेगूसराय भेज दिया गया
इस बीच बरौनी जीआरपी के द्वारा न्यायालय से सहयोग प्राप्त करने का प्रयास किया जाता रहा है लेकिन अभी तक न्यायालय से भी किसी प्रकार का आदेश पारित नहीं किया गया है. आज गुरुवार को संध्या तक शव का पोस्टमॉर्टम नहीं हो पाने की सूचना है, जिससे परिजनों में एक तरफ जहां आक्रोश है वहीं स्थानीय लोग भी इस संवेदनहीनता पर सवाल खड़े कर रहे हैं. 
(रिपोर्ट- जितेंद्र चौधरी)


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