बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय में गंगा के जलस्तर में वृद्धि के बाद अब जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. लोग जिल्लत भरी जिंदगी जीने को विवश हो गए हैं. प्रशासन के द्वारा भले ही बाढ़ पूर्व तैयारी के लाख दावे किए जाते रहे हो, लेकिन जमीनी हकीकत ठीक विपरीत है. जब तेघरा अनुमंडल के रात गांव पंचायत का जायजा लिया गया तो लोगों ने अपनी व्यथा को सुनाया और प्रशासन पर जमकर हल्ला बोला है. 


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आवागमन करने को लोग मजबूर 
दरअसल, तेघड़ा अनुमंडल के रात गांव पंचायत और उसके आसपास की तकरीबन 10 हजार की आबादी बिल्कुल बाढ़ से घिरी हुई है और उसका अनुमंडल मुख्यालय से संपर्क भंग हो चुका है. लोगों के आवागमन के लिए सिर्फ नाव ही एक सहारा है. प्रशासन के द्वारा नाव की भी समुचित व्यवस्था नहीं की गई है. जिसके वजह से लोग जान जोखिम में डालकर जुगाड़ टेक्नोलॉजी से आवागमन करने को विवश हैं. अगर यही स्थिति रही तो कभी भी बड़े हादसे हो सकते हैं. 


बाढ़ से लोगों की फसलें हुई तबाह
वहीं लोगों की फसलें बिल्कुल तबाह चुकी हैं और लोगों के सामने पशु चारे की समस्या खड़ी हुई है. आलम यह है कि लोगों के घरों और चूल्हे तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है. जिससे लोग ढंग से खाना बनाकर भी नहीं खा पा रहे है. दूसरी ओर पशुओं के लिए सुरक्षित स्थान नहीं मिल रहा है और लोग अपने पालतू पशुओं को पानी में ही रखने को विवश हैं. कुछ लोग पशुओं को लेकर पलायन करने को मजबूर हैं. 


शौचालय के लिए लोग परेशान 
लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या शौचालय की आन पड़ी है. क्योंकि चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है. जिसके वजह से लोग शौच के लिए भी बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. देखा जाए तो जिला प्रशासन के द्वारा बाढ़ से पूर्व तैयारी के लगातार दावे किए जा रहे थे. कहा जा रहा था कि किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए प्रशासन बिल्कुल तैयार है. लेकिन जिस ढंग से बाढ़ की विभीषिका में लोग फंसे हुए हैं. उससे प्रशासन के दावों की पोल खुल रही है. स्थानीय लोगों ने तत्काल प्रशासन से लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने ,लोगों के लिए खाने की व्यवस्था करने, पशु चारे की व्यवस्था करने और सबसे पहले अस्थाई शौचालय की व्यवस्था करने की मांग की है. 
(रिपोर्ट-जितेंद्र चौधरी)


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