पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है मिथिला के भाई-बहन की अमर गाथा का पर्व सामा चकेवा
बेगूसराय में मिथिला के भाई-बहन के अमर गाथा का पर्व सामा चकेवा पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है.
बेगूसराय : बेगूसराय में मिथिला के भाई-बहन के अमर गाथा का पर्व सामा चकेवा पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष सप्तमी से शुरू होकर पूर्णिमा तक कन्याओं के द्वारा मनाया जाता है.
भाई-बहन के अगाध प्रेम की कथा से भरा है यह त्यौहार
भाई और बहन के अगाध प्रेम की अमर गाथा को प्रदर्शित करने के लिए मान्यता के अनुसार सामा चकेवा, डिहुली, कचबचिया,चुरौती, हंस,सतभैया,चुगला, वृंदावन पेटार सहित अन्य मिट्टी की प्रतिमा बनाया जाता है. इस अवसर पर बहन अपने भाई की लंबी उम्र व सुख समृद्धि के लिए यह पर्व पूरे विधि विधान के साथ मनाती हैं.
भगवान कृष्ण से जुड़ी है पूरी कहानी
प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सामा चकेवा के उत्सव का संबंध सामा की दु:ख भरी कहानी से है. कहानी के अनुसार सामा कृष्ण की पुत्री थी. एक दिन एक दुष्ट चरित्र वाले व्यक्ति ने षडयंत्र के तहत सामा पर गलत आरोप लगाया. उसने कृष्ण से यह बात कह दी, कृष्ण को अपनी पुत्री सामा पर बहुत गुस्सा आया. क्रोध में आकर कृष्ण ने सामा को पक्षी बन जाने का श्राप दे दिया.
भाई के समर्पण व त्याग कहानी है सामा चकेवा
जब सामा के भाई चकेवा को इस प्रकरण की पूरी जानकारी हुई तो उसे अपनी बहन सामा के प्रति सहानुभूति हुई. अपनी बहन को पक्षी से मनुष्य रूप में लाने के लिए चकेवा ने तपस्या करके सामा को पक्षी रूप से पुन: मनुष्य रूप में लाया. अपने भाई के समर्पण व त्याग देखकर सामा द्रवित हो गई. मान्यता के अनुसार उसी की याद में तब से बहनें अपनी भाइयों के लिए यह पर्व मनाती आ रही हैं.
8 दिनों तक चलता है यह पर्व
सामा चकेवा पर्व 8 दिनों तक मनता है. दीपावली के समय से ही सामा चकेवा के तैयारी शुरू हो जाती है. कार्तिक माह के पंचमी शुक्ल पक्ष तिथि से सामा चकेवा के मूर्ति की खरीदारी होती है. यह त्यौहार पंचमी से पूर्णिमा तक आयोजित होता है.
(रिपोर्ट- राजीव कुमार)
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