Bokaro: झारखंड के बोकारो की एक ऐसी नहर, जहां अरबों रुपये लगाए गए है, लेकिन बावजूद इसके नहर में एक बूंद भी पानी बहाया नहीं जा सका. यह नहर गवई- बराज नहर परियोजना है. इस योजना को 70 के दशक में शुरू किया गया था. यह योजना उस समय लाखों रुपये की थी जो कि अब अरबों तक पहुंच चुकी है. लेकिन उसके बाद भी किसानों को खेती के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

150 किलोमीटर लंबी गवाय-बराज परियोजना
बता दें कि बोकारो जिले के चास चंदनक्यारी क्षेत्र में करीब 150 किलोमीटर लंबी गवई बराज नहर परियोजना चलाई गई थी. इस परियोजना की शुरूआत 1970 में हुई थी. हालांकि यह योजना सफलतापूर्वक आज तक पूरी नहीं हो सकी. इस परियोजना का उद्देश्य 50 से 70 हजार किसानों को फायदा पहुंचाना था. गवई और बराज नदी के पानी को पिंद्रजोरा थाना क्षेत्र के चेक डैम से सीधे चंदनक्यारी के सुदूरवर्ती इलाकों में पहुंचाया जा सके. जिसके लिए बजयप्ता पिंद्रजोरा पंचायत में गवाई नदी में फाटक लगाया गया, जहां पानी को रोकने के लिए केचमेंट एरिया का निर्माण किया जाना है. जिससे इस परियोजना के जरिए किसानों को खेती के लिए पानी मिल सके. 


70 के दशक में शुरू हुई थी योजना
हालांकि यह प्रोजेक्ट 70 की दशक में शुरू होने के बाद बीच में ही रोक दिया गया. जिसके बाद 2016 में रेनोवेशन का काम 148 करोड़ रुपयों के साथ दोबारा शुरू किया गया और 2018 तक काम पूरा होने का लक्ष्य रखा गया. लेकिन इसका काम 2022 तक भी पूरा नहीं किया जा सका. जिसके कारण चास चंदनक्यारी के किसान बेहद परेशान हैं, क्योंकि इतनों सालों मे भी उनके खेतों में नहर का पानी नहीं पहुंच पाया है. किसानों को अपनी फसलें खराब होने का डर बना हुआ है. 


परियोजना पर नहीं रख रहा कोई निगरानी
वहीं दूसरी ओर गवई बराज नहर परियोजना में क्वालिटी से भी समझौता किया जा रहा है. प्लास्टिक लगाकर ढलाई की जा रही है. साथ ही जहां नहर की ढलाई की गई है. वह ठीक प्रकार से नहीं की गई है. हालात ऐसे हैं कि वहां पर कोई अधिकारी नहीं है, न ही स्थानीय जनप्रतिनिधी है जो नहर के काम पर निगरानी रख सके. यहां तक की नहर के काम में लगे मजदूर भी अपनी जिम्मेदारी से दूर भागते दिखाई देते हैं. 


सालों बाद भी बनकर तैयार नहीं प्रोजेक्ट
वहीं, चंदनक्यारी के भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री अमर कुमार बावरी का कहना है कि इस नहर के परियोजना का काम लंबे समय से पड़ा हुआ था. जिसके बाद 2016 में  की जब सरकार सत्ता में आई तो इसके रेनोवेशन का काम दोबार से शुरू किया गया और साल 2018 तक पूरा किया जाना था, लेकिन यह पूरा नहीं किया जा सका. उन्होंने सूबे कि सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इसका काम जल्द पूरा हो जाना चाहिए था. ना तो गवई नदी में केचमेंट एरिया बनाया गया और ना ही क्वालिटी पर ध्यान दिया जा रहा है. ऐसे में इस नहर परियोजना की जांच होनी चाहिए और क्वालिटी से समझौता करने वाले ठेकेदारों पर और देखरेख नहीं करने वाले इंजीनियरों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.


ये भी पढ़िये: कोरोना प्रोटोकॉल का नहीं हो रहा पालन, लगातार बढ़ रही है मरीजों की संख्या