आंगनबाड़ी केन्द्रों में पौष्टिक आहार की आपूर्ति बंद होने से नैनिहालों का भविष्य अंधेरे में
झारखंड में धीरे-धीरे हर जगह बच्चों के लिए मिलने वाले पौष्टिक आहार की किल्लत के मामले सामने आने लगे है. मामला धनबाद जिले की आंगनबाड़ियों का है, जहां पर नैनिहालों को प्रारंभिक शिक्षा के साथ मिलने वाले पौष्टिक आहार की आपूर्ति बंद हो गई है.
धनबाद : झारखंड में धीरे-धीरे हर जगह बच्चों के लिए मिलने वाले पौष्टिक आहार की किल्लत के मामले सामने आने लगे है. मामला धनबाद जिले की आंगनबाड़ियों का है, जहां पर नैनिहालों को प्रारंभिक शिक्षा के साथ मिलने वाले पौष्टिक आहार की आपूर्ति बंद हो गई है. जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चों के लिए सरकार सिर्फ चावल ही दे पा रही है, लेकिन बाकी खाद्य सामग्री नहीं दे रही है. ऐसे में बच्चे उधार की खिचड़ी खाने को मजबूर हो रहे हैं. धनबाद के विभिन्न अनागबाड़ी केंद्र बंद होने के कगार पर है, वहीं कुछ में खिचड़ी खिलाकर ही बच्चो को पढ़ाया जा रहा है.
आंगनबाड़ियों की स्थिति खराब
जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा नैनिहालों को प्रारंभिक शिक्षा के साथ पौष्टिक आहार देने के लिए संचालित आंगनबाड़ियों की स्थिति धनबाद जिले में ठीक नहीं हैं. स्थिति कुछ ऐसी है कि जहां पर केंद्र हैं वहां बच्चों की उपस्थिति कम होती है. इसके अलावा कुछ केंद्र अक्सर बंद ही नजर आते हैं. केंद्रों में आने वाले बच्चों को आहार के नाम पर सिर्फ चावल मिल रहे है, लेकिन यह कितना पौष्टिक है यह जांच का विषय है.
पोषाहार के नाम पर मिल रहे सिर्फ चावल
आंगनबाड़ी केंद्रों में मौजूद सेविका-सहायिकाओं का कहना है कि सरकार की जो भी व्यवस्था है उसी के आधार पर केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. उधार पर ही बच्चों के लिए पोषाहार की व्यवस्था होती है. चावल तो सरकार की ओर से मिल जाता है, लेकिन अन्य सामग्रियों को उधार पर ही खरीदना पड़ रहा है. अगर ऐसे ही हालाक रहे तो उधारी भी दुकानदारों द्वारा बंद कर दी जाएगी.
अप्रैल महीने से नहीं आई राशि
झरिया के वार्ड 46 और 47 में आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ रहे बच्चों के लिए सिर्फ खिचड़ी बनाई जा रही है. सहायिकाओं का कहना है कि अप्रैल महीने से पोषा आहार की राशि नहीं मिल रही है. जिसके चलते केंद्र चलाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दुकानदार भी अब उधार देने से इंकार कर रहे है. जिसके चलते केंद्र चलाना मुश्किल हो रहा है. इस माह के अंत तक ही आंगनवाड़ी केंद्र को चला सकते है. उसके बाद अपने वरिष्ठ अधिकारियों इस बारे में सूचना देंगे.
यह भी पढ़ें : हथियारबंद बदमाशों ने काटा बवाल, पीड़ित परिवार ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप