Dhanbad: झारखंड सरकार भले ही यह दावा करती हो कि मानसून की दस्तक से पहले ही सरकार पूरी मुकम्मल व्यवस्था के साथ तैयार है लेकिन इन वादों का पोल उस वक्त खुल जाती है, जब इसकी हकीकत कैमरे के सामने आती है. कोयला नगरी धनबाद के बलियापुर पंचायत के कलंदी टोला में 25 परिवार अपने आवास के अभाव में कपड़े और प्लास्टिक से बनाया गया झोपड़ी नुमा घर में रहने को मजबूर हैं.
 
मानसून के आगमन की संभावना के बीच धनबाद में भी बारिश हो रही है लेकिन बलियापुर के ग्रामीण इलाका कालंद्री टोला के 26 परिवार इस मानसून में झोपड़ी नुमा घर में रहने को मजबूर हैं. इस समुदाय की पहचान अनुसूचित जाति में होती है. इनमें से कुछ के पास पक्के का मकान है लेकिन पुराना होने की वजह से उन घरों में दरार हो गई है और उसी दरार से पानी नीचे गिरता रहता है. 
 
इसी पानी के बीच यहां के लोग छाता लेकर अपने ही घर में खाना बनाते हैं. बच्चे सोते हैं तो परिजन छाता लेकर उनकी रखवाली करते हैं. यहां के लोगों की मानें तो जनप्रतिनिधि मुखिया को कई बार इसकी शिकायत भी की है और मदद की गुहार भी लगाई है लेकिन अनुसूचित जाति होने के कारण उनके साथ भेदभाव का व्यवहार किया जा रहा है. ग्रामीणों ने मुखिया से मिलकर तत्कालीन व्यवस्था की भी गुहार लगाई है लेकिन इनका कोई सुनने वाला नहीं है.
 
यहां के लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई है. इसके बावजूद यहां के लोगों को कोई भी सरकारी लाभ मुहैया नहीं हो पाई जिससे विवश होकर अपने जानमाल की रक्षा को लेकर कपड़े और प्लास्टिक के झोपड़ी नुमा घर बनाकर रहने को विवश हैं. 


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समाजसेवी उषा महतो ने जनप्रतिनिधि व स्थनीय मुखिया संचित गोराई के कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया है उन्होंने साफ तौर से कहा है कि इसके लिए जनप्रतिनिधि को सख्त होने की जरूरत है ग्रामीणों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं को सुन उस पर विचार विमर्श करने की जरूरत है. वहीं, स्थानीय मुखिया संचित गोराई ने हाथ खड़ा करते हुए कहा कि सरकार की धीमी कार्य की गति होने के कारण हम इन्हें कोई भी लाभ देने से असमर्थ हैं और यह उनके बस की बात नहीं है.
 
बहरहाल, तेज बारिश के बीच अपने छत को निहारते कलंदी टोला के निवासी अपने रहनुमा के इंतजार में बैठे हैं कि कोई रहनुमा आए और इनके सर पर एक पक्की मकान की व्यवस्था करा दे ताकि इन समस्याओं से उन्हें निजात मिल जाय.
 
 (इनपुट- नितेश)