Ranchi: वन अधिकारी अजिंक्य बांकर का मानना है कि पक्षियों के संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और इसके लिए उन्होंने पिछले दो वर्षों में यहां से लगभग 210 किलोमीटर दूर झारखंड के जामताड़ा जिले में पक्षियों की लगभग 150 प्रजातियों की पहचान की है.


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कई हैं दुर्लभ प्रजाति के


जिले में पक्षियों की 146 प्रजातियों की पहचान करने के अलावा, जामताड़ा के संभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) बांकर ने संथाली और हिंदी में इन प्रजातियों के नाम भी संकलित किए हैं ताकि आम लोग उन्हें आसानी से पहचान सकें और संरक्षण के लिए प्रयास करें.इनमें से कई प्रजाति दुर्लभ हैं.उन्होंने पक्षियों को आकर्षित करने वाले पेड़ों का दायरा बढ़ाने की भी पहल की है.झारखंड को हालांकि व्यापक हरियाली के कारण पक्षियों के लिए एक सुरक्षित निवास स्थान माना जाता है, लेकिन शिकारी अकसर इनका शिकार करते हैं.


जोखिम श्रेणी वाले प्रवासी पक्षी भी हैं इसमें शामिल


बांकर ने कहा, ''मैंने पाया कि क्षेत्र में पक्षियों का शिकार चिंता का विषय है.यहां तक ​​कि स्कूली बच्चे भी उन्हें मार रहे हैं क्योंकि वे पर्यावरण और समाज के लिए उनके महत्व से अनजान हैं.इसलिए मैंने जागरूकता अभियान शुरू करने का फैसला किया.'' अधिकारी ने कहा कि दो वर्षों के सर्वेक्षण में पक्षियों की 146 प्रजातियों की पहचान की गई जिनमें से 40 जोखिम श्रेणी वाले प्रवासी पक्षी शामिल हैं.


अधिकारी ने कहा कि इस कवायद के दौरान 'कॉमन पोचार्ड', 'इंडियन रिवर टर्न', 'वूली-नेकड स्टॉर्क', 'ब्लैक-हेडेड आइबिस' और 'एलेक्जेंडरिन पैराकीट' जैसी कई दुर्लभ प्रजातियां पाई गईं.उन्होंने कहा, ''चूंकि स्थानीय लोग पक्षियों के अंग्रेजी नामों से परिचित नहीं हैं, इसलिए हमने इसे स्थानीय संथाली भाषा और हिंदी में संकलित करने का फैसला किया है.'' बांकर के प्रयासों की इंडियन बर्ड कंजर्वेशन नेटवर्क (आईबीसीएन) ने उनकी सराहना की है.बांकर ने कहा कि जागरूकता फैलाने के लिए लगभग 40 लोगों को पक्षी संरक्षण में प्रशिक्षित किया गया है.


उन्होंने कहा, ''उनका दायित्व लोगों में पक्षी संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना है.अब हमें अच्छे परिणाम मिल रहे हैं क्योंकि ग्रामीण अब पक्षी संरक्षण और बचाव में मदद कर रहे हैं.'' बांकर ने कहा, ''हमने पक्षियों के आवास में सुधार के लिए जिले में पीपल, बरगद और गूलर के पेड़ उगाने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया क्योंकि वे पर्यावरण में अनुकूल माहौल निर्माण में योगदान करते हैं.'' 


आईबीसीएन के झारखंड समन्वयक सत्यप्रकाश ने कहा, ''मैं अधिकारी की पहल की सराहना करता हूं.लेकिन, अगर हम पक्षियों के लिए उचित संरक्षण चाहते हैं, तो हमें राज्य भर में इस तरह की पहल की जरूरत है.इसके अलावा, वन विभाग को पक्षियों की उचित निगरानी भी सुनिश्चित करनी चाहिए.''


(इनपुट: भाषा)