Jharkhand News: बारिश की कमी के कारण कोडरमा में खेती पर संकट, सूखने लगे धान के बिचड़े
झारखंड के कोडरमा में सूखे की स्थिति पैदा हो गई. खेतों में लगे बिचड़े सूखने लगे हैं और खेतों में दरारें पड़ चुकी हैं. वहीं, हालातों को देखते हुए कोडरमा को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग भी तेजी से बढ़ रही है.
Koderma: झारखंड में पिछले काफी वक्त से बारिश नहीं होने के कारण किसान बेहद मायूस हैं. जिसके कारण किसानों को अपनी खेती बर्बाद होने का डर सता रहा है. झारखंड के कोडरमा में सूखे की स्थिति पैदा हो गई. खेतों में लगे बिचड़े सूखने लगे हैं और खेतों में दरारें पड़ चुकी हैं. जिसके कारण किसानों की चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही है.
91 प्रतिशत खेत सूखे पड़े
दरअसल, मानसून की शुरूआत जून में ही हो गई थी. मानसून की शुरूआत होने के बाद भी झारखंड में लोगों को अच्छी बारिश नसीब नहीं हुई है. पिछले काफी समय से लोगों को अच्छी बारिश का इंतजार है. धान की खेती बारिश पर निर्भर करती है. इस बार अच्छी बारिश नहीं होने के कारण कोडरमा में महज 9 प्रतिशत ही धान की रोपनी हुई है. जबकि 91 प्रतिशत खेत सूखे पड़े हैं और बंजर खेतों में दरारें दिखाई दे रही हैं.
सूखाग्रस्त घोषित करने की उठी मांग
इसके अलावा बारिश नहीं होने के कारण जल संकट भी गहराने लगा है. वहीं, हालातों को देखते हुए कोडरमा को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग भी तेजी से बढ़ रही है. जिला परिषद अध्यक्ष रामधन यादव ने कहा कि कोडरमा में सूखे की स्थिति पैदा हो गई है और कोडरमा को सरकार के द्वारा सूखाग्रस्त घोषित करने की औपचारिकता बाकी है.उन्होंने कहा कि जिला परिषद की बैठक में वह सरकार से कोडरमा को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए पत्र लिखेंगे.
रिकॉर्ड की गई कम बारिश
जून के महीने में कोडरमा में 50 प्रतिशत से भी कम बारिश दर्ज की गई है. वहीं, जुलाई के महीने में महज 15 प्रतिशत ही बारिश रिकॉर्ड की गई है. जिसके कारण जिले की स्थिति गंभीर और चिंताजनक बनी हुई है. किसानों को अपनी धान की खेती की चिंता सता रहा है. वहीं, हालातों को लेकर जिला प्रशासन ने राज्य सरकार से स्थिति का आकलन कर रिपोर्ट भी सांझा की गई है. इसके अलावा उपायुक्त आदित्य रंजन ने कहा कि राज्य सरकार के फसल राहत योजना से किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई हो सकेगी. इस साल राज्य में बारिश की स्थिति अच्छी नहीं है ऐसे में धान की खेती प्रभावित होने की संभावना प्रबल है. जिसके कारण किसान बेहद परेशान हैं.