कोडरमा:Jharkhand News: कोडरमा में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के नाम पर बड़ा घोटाला प्रकाश में आया है. जिले के 1433 अल्पसंख्यक छात्रों के नाम पर तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपए की राशि गबन कर ली गई है. हालांकि मामला प्रकाश में आने के बाद कल्याण पदाधिकारी ने विभाग के तीन कर्मी समेत 10 स्कूलों के खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी है. फिलहाल पूरे मामले की जांच की जा रही है. इसमें सिर्फ स्कूलों की भूमिका ही संदिग्ध नहीं है बल्कि विभाग के तीन कर्मियों की मिलीभगत भी सामने आई है.


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मामले में प्राथमिकी दर्ज 
मामले में विभाग के सेवानिवृत्त लिपिक मोहम्मद मोबिन, वर्तमान लिपिक प्रमोद कुमार मुंडा और कंप्यूटर ऑपरेटर मोहम्मद हैदर की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है. कल्याण पदाधिकारी के मुताबिक स्कूल से मिले कागजातों की जांच किए बिना ही उसे अपलोड कर दिया गया है. मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद सेवानिवृत्त क्लर्क मोहम्मद मुबीन, लिपिक प्रमोद कुमार मुंडा कार्यालय नहीं आ रहे हैं. वहीं कंप्यूटर ऑपरेटर मोहम्मद हैदर का कहना है कि इस मामले में विभाग के बाबू के द्वारा जो आदेश दिया जाता था वो सिर्फ उसका पालन करते रहे हैं. राशि गबन के इस मामले से कंप्यूटर ऑपरेटर मोहम्मद हैदर पूरी तरह से पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे हैं.


1433 छात्रों के नाम पर पैसे निकाले
वहीं छात्रवृत्ति के नाम पर अनियमितता की बात जब उपायुक्त को पता चली तो उन्होंने अपर समाहर्ता से इस पूरे मामले की जांच करवाई. जिसमें यह बात सामने आई कि फर्जी स्कूल और फर्जी छात्रों के नाम पर अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के नाम पर मिलने वाली राशि का गबन किया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में 10 स्कूलों के 1433 छात्रों के नाम पर तकरीबन डेढ़ करोड़ की राशि विभाग के कर्मियों की मिलीभगत से गबन कर ली गई है.


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बच्चों के नाम और पता फर्जी         
दरअसल छात्रवृत्ति से पहले एक प्रक्रिया अपनाई जाती है. इसके लिए पहले स्कूलों की ओर से आवेदन आता है और उस पर स्वीकृति मिलने के बाद स्कूलों के तरफ से बच्चों की सूची विभाग को ऑनलाइन भेजी जाती है. जिसके बाद कल्याण विभाग ने तमाम कागजातों की जांच के बाद उन नामों की सूची को मुख्यालय भेजता है और मुख्यालय से ही राशि बच्चों के नाम पर ट्रांसफर की जाती है. जिन 1433 बच्चों की सूची मिली है उनमें से एक भी बच्चे के खाते में पैसे ट्रांसफर नहीं हुए हैं. जबकि इनमें से कई बच्चों के नाम और पता भी फर्जी पाए गए हैं. ऐसे में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जब कार्रवाई होगी तो इस फर्जीवाड़े के दर परत खुलेंगे.
इनपुट- गजेंद्र सिन्हा