पाकुड़ में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने निजीकरण के खिलाफ की एक दिवसीय भूख हड़ताल
पाकुड़ में रेलवे स्टेशन परिसर में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन के के बैनर तले एक दिवसीय शांतिपूर्ण भूख हड़ताल का आयोजन किया है. इसके अलावा सभी कर्मियों ने निजी कंपनी और प्रशासन के खिलाफ जमकर विरोध किया गया. इस भूख हड़ताल में यूनियन के दर्जनों कार्यकर्ता अनशन पर रहे. जिसमें से सैकड़ों रेल कर्मी शामिल थे.
Pakur: झारखंड के पाकुड़ में रेलवे स्टेशन परिसर में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन के के बैनर तले एक दिवसीय शांतिपूर्ण भूख हड़ताल का आयोजन किया है. इसके अलावा सभी कर्मियों ने निजी कंपनी और प्रशासन के खिलाफ जमकर विरोध किया गया. इस भूख हड़ताल में यूनियन के दर्जनों कार्यकर्ता अनशन पर रहे. जिसमें से सैकड़ों रेल कर्मी शामिल थे.
रेलवे का हो रहा है निजीकरण
दरअसल, पाकुड़ की शाखा में रेलवे स्टेशन परिसर में ऑल इंडिया मेंस फेडरेशन के द्वारा एक दिवसीय भूख हड़ताल का आयोजन किया गया है. यह पाकुड़ स्टेशन मैनेजर कार्यालय के समक्ष इस भूख हड़ताल का आयोजन किया गया है. शाखा के सचिव संजय कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा रेलवे का लगातार निजीकरण किया जा रहा है. जिसके चलते लगातार पदों की समाप्ति की जा रही है. इन हालातों के कारण रोजगार के अवसर में कमी आ रही है. वहीं, शिक्षित लोग रोजगार के कारण इधर उधर भटक रहे हैं. कर्मी निजी कंपनियों के शोषण का शिकार हो रहे हैं.
सार्वजनिक संपत्तियों को निजी कंपनियों को सौंपा
इसके अलावा उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा चलाई गई तमाम श्रमिक विरोधी नीतियों जैसे न्यू पेंशन स्कीम, पदों को समाप्त करना, नया श्रमिक कानून के जरिए, श्रमिक अधिकारों की कटौती करना, इत्यादि विषयों को लेकर देशभर के रेलवे कर्मचारियों द्वारा ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन के बैनर तले इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया है. उन्होंने बताया कि इसमें से सबसे दुखद यह है कि कई सार्वजनिक संपत्तियों को निजी कंपनियों को सौंपा जा रहा है. जिसे बनाने में सालों लगते हैं. उत्पाद इकाइयों का निगमीकरण के माध्यम से निजीकरण किया जा रहा है. जो कि अपने निर्धारित लक्ष्य से डेढ़ गुना उत्पादन कर रही है.
लाभ का अधिकतम हिस्सा निजी कंपनियों को मिल रहा
इस तरह के निजीकरण से, लाभ का अधिकतम हिस्सा निजी कंपनियों को चला जाएगा. जिससे देश की आर्थिक गतिविधियों का अप्रत्यक्ष तौर पर नियंत्रण निजी कंपनियों के हाथ में चला जाएगा. उन निजी कंपनियों के हाथों देश का बेरोजगार युवा शोषित होने के लिए मजबूर होगा. शाखा के अध्यक्ष अखिलेश चौबे ने बताया कि इस अनशन के माध्यम से सरकार को यह संदेश देना चाहते हैं कि आम रेलवे कर्मचारी सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों से नाखुश है और आशा करता है कि सभी मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार कर इसका समाधान किया जाएगा.
(रिपोटर - सोहन प्रमाणिक)