धनबाद: पाकुड़ को लंबे इंतजार के बाद एक नई सौगात मिलने जा रही है. पाकुड़ में आठ सालों के लंबे इंतजार के बाद पहली बार कोयला मालगाड़ी से पंजाब भेजा गया. अब जल्द ही पाकुड़ के कोयला से पंजाब जगमग होगा. बता दें कि पाकुड़ रेलवे साइडिंग लोटामारा से पहला रैक पंजाब पावर प्लांट रोपड़, भटिंडा के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. इस दौरान पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड के चीफ इंजीनियर जसविंदर सिंह भाटिया, डीबीएल कोल कंपनी के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट धनजंय झा,जीएम राधारमन राय,देवेंद्र झा के अलावे पूर्व रेलवे हावड़ा डिवीजन के एडीआरएम रशिम कुमार मौर्या सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे.


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झारखंड को मिलेगा करोड़ों रुपये का राजस्व
पीएसपीसीएल के चीफ इंजीनियर जसविंदर सिंह भाटिया ने कहा कि लंबे अरसे के बाद एक बार फिर रेलवे के जरिए पंजाब को कोयला मिलने जा रहा है और इससे जहां पंजाब में रोशनी आबाद होगी तो वहीं स्थानीय स्तर पर विकास का कार्य रफ्तार पकड़ लेगी. उन्होंने कहा कि कोयला पंजाब जाने से निश्चित ही राज्य सरकार को करोड़ो रूपये की रॉयल्टी प्राप्त होगी और उस रॉयल्टी से जिला का भी विकास होगा. अब झारखंड को करोड़ो रुपये का राजस्व भी मिलेगा. वहीं डीबीएल कोल कंपनी के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट धनंजय झा ने भी लोगों को संबोधित करते हुए उनके द्वारा किए गए सहयोग की सराहना की. साथ ही कहा कि सभी लोगों के साझा प्रयास से लंबे अरसे के बाद कोयला रेलवे रेक के जरिए पंजाब के लिए रवाना किया गया. उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि को हमेशा याद रखा जाएगा. सभी लोगों के साझा प्रयास से ही आज परिणाम सामने आया है और आगे निश्चित ही यहां के ग्रामीणों को इसका लाभ मिलेगा.


आठ साल बाद पंजाब पहुंचा कोयला
उन्होंने कहा कि ग्राम के विकास में डीबीएल अहम भूमिका अदा करेगी और यहां के ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा. लोगों की आर्थिक स्थिति में निश्चित ही सुधार होगा. कंपनी उन्हें हर प्रकार का सहयोग करने को तत्पर है हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि आने वाले वर्षों में डीबीएल कंपनी और ग्रामीणों के सहयोग से एक नई इबारत लिखने का कार्य किया जाएगा. गौरतलब है कि पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड को आवंटित पचुवाड़ा सेंट्रल कोल ब्लॉक से कोयले का उत्खनन व परिवहन सुचारू हो गया है. डीबीएल कोल कंपनी इसका उत्खनन कर रही है और आठ सालों के बाद खुद के कोयला खदान के कोयले से पुनः पंजाब पावर के प्लांटों में बिजली उत्पादन किया जाएगा. इससे न सिर्फ पंजाब सरकार को प्रतिवर्ष सैकड़ों करोड़ रुपयों की बचत होगी, बल्कि झारखंड सरकार को करोड़ों रुपये राजस्व व स्थानीय लोगों को रोजगार की प्राप्ति होगी. 


पाकुड़ के कोयले से पंजाब होगा रौशन
माइनिंग एक्सपर्ट देवेंद्र झा के अनुसार सेंट्रल कोल ब्लॉक में जी-10 ग्रेड का कोयला है, जो विद्युत उत्पादन के उच्चतम स्तर का कोयला माना जाता है. पाकुड़ के अमड़ापाड़ा अंचल स्थित पचुवाड़ा सेंट्रल कोल ब्लॉक कुल 1271.87 हेक्टेयर में फैला है जिसमें 366.46 हेक्टेयर वन भूमि भी शामिल है. सेंट्रल कोल ब्लॉक के माईस डेवलपर एंड ऑपरेटर (एमडीओ) कंपनी दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड (डीबीएल) कुल क्षेत्र में अलगे 30 सालों तक कोयले का उत्खनन व परिवहन करेगी. इन्हीं कोयलों से पंजाब प्रदेश रौशन होंगे. पाकुड़ से निकलकर कोयले पंजाब पावर के लेहरा मोहब्बत पहुंचेगी. आगामी मार्च तक डीबीएल ने 2 मिलियन टन कोयला पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. इसके बाद प्रति वर्ष 7 मिलियन यानी 70 लाख टन कोयला पाकुड़ से पंजाब भेजा जाएगा.


इनपुट-सोहन प्रमाणिक


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