कड़ी मेहनत के बाद पोस्ट ग्रेजुएट राधा बनी आत्मनिर्भर, अपने ही कॉलेज के बाहर लगाई चाय की दुकान
किसान की बेटी राधा यादव को पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं मिली थी. जिसके चलते राधा ने महिला कॉलेज के सामने ही चाय की दुकान खोली और बन गई पोस्ट ग्रेजुएट चाय वाली.
देवघर: जब बेटियां तमन्नाओं के हौसले पर सवार हो, विश्वास के पंख लगाकर लक्ष्य के लिए उड़ान भर्ती है, तो राधा जैसी बेटी समाज के लिए एक मिसाल बन जाती है. दरअसल, किसान की बेटी राधा यादव को पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं मिली थी. जिसके चलते राधा ने महिला कॉलेज के सामने ही चाय की दुकान खोली और पोस्ट ग्रेजुएट चाय वाली बन गई.
सुबह 6 बजे स्कूटी पर निकलती है राधा
यह कहानी एक साधारण किसान की बेटी राधा यादव की है. कहते हैं कि जीनियस जीने का रास्ता खुद ही ढूंढ लेते हैं. जीवन में भगवान के भरोसे मत बैठो क्या पता भगवान तुम्हारे भरोसे बैठा हो. हालांकि ये बात फिल्मी जरूर है लेकिन राधा को यह बखूबी समझ में आ गया. राधा यादव देवघर के कोठिया गांव की रहने वाली है. उनके पिता एक साधारण किसान है और उनके घर में उनकी मां, पांच बहन और एक भाई है. राधा बताती है कि यह एक महज चाय की दुकान नहीं बल्कि बेटी किसी से पीछे नहीं और कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता यह बताने की एक कोशिश है. राधा सुबह 6:00 बजे अपने गांव से स्कूटी पर सभी सामान लेकर अपनी दुकान पहुंचती है और मिट्टी के बर्तन में घर जैसी चाय बनाकर लोगों को पिलाती है.
सहजता से बेटियां पीती है चाय
राधा को विश्वास था कि बेटियां इस दुकान में आकर सहजता के साथ चाय पी सकती है, लेकिन शुरुआती दिनों में छात्राएं इस दुकान पर नहीं आती थी. इस बेटी के हौसले को देखते हुए आम और खास लोग यहां रुक कर देसी चाय का आनंद लेते थे. धीरे-धीरे कॉलेज की छात्राएं भी इस दुकान की तरफ आने लगी और चाय की चुस्की लेने लगी.
अपनी दुकान पर राधा ने लिखा आकर्षक स्लोगन
राधा बताती है कि पटना में एक छात्रा ने ग्रेजुएट चाय वाली नाम से दुकान खोली थी. उन्होंने यूट्यूब पर उसका वीडियो देखा था, जिसके बाद उन्हें यह आइडिया आया. लेकिन राधा पोस्ट ग्रेजुएट है ऐसे में इसकी दुकान भी खास है. दुकान के सामने पोस्ट ग्रेजुएट चाय वाली का बोर्ड लगा है. नीचे देवरिया भाषा में ' चाय पियो' लिखा है और ठीक उसके नीचे मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करने का स्लोगन लिखा है जो लोगों को और ज्यादा आकर्षित करता है.
दिन में बिक जाती है 200 कप चाय
वह एक दिन में 200 कप चाय बेच लेती है. हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि राधा के पिता को अभी तक यह जानकारी नहीं है कि उनकी बेटी चाय बेचती है. लेकिन राधा को विश्वास है कि जिस तरीके से मां और अन्य परिवार उनका सपोर्ट कर रहे हैं. पिता को जब इसकी जानकारी होगी तो पिता भी इस कार्य की सराहना करेंगे. राधा ने अपने इस कदम से समाज को एक बेहतर संदेश दिया है राधा का यह कदम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और महिला सशक्तिकरण को बल दे रहा है. जल्दी है समाज राधा जैसी बेटियों के लिए सामने आएगा.