झारखंड के इस गांव में नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर लोग, बूंद-बूंद पानी को तरसे
Bokaro Water Crisis: एक ओर पूरे देश में हर घर जल योजना के तहत देश के ग्रामिण इलाकों के घरों को नल से पानी पहुंचाने की योजना चल रही है, तो वहीं दूसरी तरफ झारखंड में आज भी एक गांव ऐसा जहां के लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं.
बोकारो: Bokaro Water Crisis: एक ओर पूरे देश में हर घर जल योजना के तहत देश के ग्रामिण इलाकों के घरों को नल से पानी पहुंचाने की योजना चल रही है, तो वहीं दूसरी तरफ झारखंड में आज भी एक गांव ऐसा जहां के लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. बोकारो जिले में फुसरो अनुमंडल के गांव कारी पानी में जल संकट इतना गहरा है कि, इस भीषण गर्मी में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. ऐसे में गांव से लगभग दो किलोमीटर दूर स्थित मौसमी नाला ही लोगों के लिए पानी का एक मात्र साधन रह गया है. सरकारी तंत्र के बदहाली का आलम यह है कि इस गांव तक पानी पहुंचाने के लिए जनता के न तो किसी राजनेता और न ही अधिकारी ने सुध नहीं ली. लिहाजा पानी के इंतजाम में इस गांव की महिलाएं अहले सुबह ही गांव से दूर इस नाले में पानी लेने जाती है और बाल्टी और घड़े में थोड़ा-थोड़ा कर पानी जमा करती है.
ऐसे में पानी भरने के लिए लोगों को घंटे भर से ज्यादा समय लग जाता है. इसके बाद फिर तपती धूप में ही ये महिलाएं माथे पर घड़ा लिए दो किलोमीटर चलने के बाद घर पहुंचती है, तब जाकर उनके घर का चौका जलता है. आज सरकार द्वारा देश के हर गांव में हर घर नल और हर घर जल की योजना चलाकर पानी पहुंचाने की बात कही जा रही है, लेकिन बोकारो जिले के फुसरो नगर परिषद क्षेत्र का कारी पानी गांव के लोग आज भी बूंद- बूंद पानी के लिए मोहताज हैं. इस गांव के लोगों को हर दिन गंदे नाले के किनारे चुआं बनाकर (गड्ढा खोदकर) पानी निकालते हैं और फिर उसी पानी को छानकर इस्तेमाल करते हैं. यहां के लोग सालों से इसी तरह चूंवा से पानी निकालकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं.
कारी पानी के लोगों ने पानी की समस्या के बारे में बताया कि गांव में एक मात्र कुआं है जो गर्मी के मौसम में सुख जाता है. वहीं वार्ड पार्षद से लेकर कई जनप्रतिनिधियों को यहां की जलसंकट से जुड़ी समस्या के बारे में बताया गया, लेकिन आज तक गांव के लोगों को स्वच्छ पानी नसीब नहीं हुआ. लोगों ने बताया कि इस क्षेत्र में लगभग पांच हजार लोग रहतते हैं, जिन्हें पानी के लिए हर दिन ऐसे ही मशक्कत करना पड़ रहा है. इस इलाके के सभी लोग मौसमी नाले के किनारे बने चुंवा पर ही सभी निर्भर हैं.