जुल्फिकार अली/रायपुरः छत्तीसगढ़ में 15 साल से बीजेपी की सरकार थी, लेकिन चुनाव के बाद बीजेपी महज 15 विधायकों में सिमट गई. लेकिन बीजेपी नेताओं का पद का मोह अभी भी बरकरार है. आलम यह है कि पद नहीं छोड़ने की स्थिति में वक्फ बोर्ड के सीईओ ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर वक्फ बोर्ड के चैयरमेन की वैधता पर राय मांगी है.


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छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सलीम अशरफी के इस्तीफा नहीं देने से विवाद की स्थिति बन गई है. वक्फ बोर्ड के सीईओ ने सलीम अशरफी के पद पर बने रहने की वैधता को लेकर राज्य सरकार से राय मांगी है. 


दरअसल, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 20 जनवरी को मुख्य सचिव के हस्ताक्षर पर जीएडी से एक आदेश जारी हुआ. जिसमें संवैधानिक आयोग, विधि द्वारा स्थिति संस्था कोछोड़कर, निगम मंडल, समिति, परिषदों प्राधिकरणों की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया था. लेकिन वक्फ बोर्ड के चैयरमेन ने इस्तीफा नहीं दिया और सभी सरकारी सुविधाओं का उपभोग कर रहे है.


वक्फ बोर्ड के सीईओ डॉ जहीरुद्दीन द्वारा शासन को पत्र लिखकर ये राय मांगी गई है कि बीजेपी सरकार में अनुसूचित जनजाति विभाग ने 14 जुलाई 2015 को अधिसूचना जारी कर पांच सदस्यों को नियुक्त किया था. और उन्हीं पांच सदस्यों ने सलीम अशरफी को चैयरमेन चुना है. राज्य सरकार ने 20 दिसंबर 2018 के आदेश में सरकार द्वारा सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया है. ऐसे में वक्फ बोर्ड के चेयर मैन स्वतः हट जाना चाहिए. 


हालांकि शासन से अभी तक कोई आदेश नहीं आने पर सभी सुविधाओं को वक्फ बोर्ड के चेयरमैन द्वारा उपभोग किया जा रहा है. इस मामले पर सलीम असरफी ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.


वक्फ बोर्ड के चैयरमेन सलीम अशरफी के इस्तीफा नहीं देने पर बीजेपी अल्प संख्यक मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष सलीम राज ने भी सवाल खड़े किए हैं. सलीम राज ने सलीम अशरफी से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की बात कहते हुए कहा कि जब बीजेपी की सरकार चली गई है. तो वह कांग्रेस का जनाधार बढ़ाने के लिए वक्फबोर्ड में बैठे है क्या? 


वक्फ बोर्ड के चैयरमेन द्वारा इस्तीफा नहीं देने पर जेसीसीजे प्रवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि बोर्ड संवैधानिक संस्था नहीं नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए. कांग्रेस नेता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि पूर्व सरकार कि नियुक्तियां रदद् कर दी गई है परीक्षण करा कर कार्रवाई की जाएगी.