Gandhi Jayanti Special: 2 अक्टूबर, 2024 दिन बुधवार को महात्मा गांधी की जंयती है. महत्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ जमकर अंदोलन चलाया था. गांधी जी देश को आजादी दिलाने लिए लगातार मुहिम चला रहे थे. महात्मा गांधी ने भारत में अंग्रेजों के खिलाफ पहला सत्याग्रह किया था. मगर, क्या आप जानते हैं कि उन्होंने बिहार की धरती से देश का पहला सत्याग्रह शुरू किया था. हम इस ऑर्टिकल में महात्मा गांधी के चंपारण आंदोलन के बारे में सबकुछ जानने की कोशिश करेंगे.


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साल 1914 के बाद का वक्त चंपारण के किसानों के लिए जुल्म, शोषण और लूट का था. किसानों को अपनी जमीन पर भी अपने मन की फसल उगाने की इजाजत नहीं थी. यूरोप में औद्योगिक क्रांति के बाद नील की मांग बढ़ गई थी. इसकी वजह से ब्रिटिश सरकार ने भारतीय किसानों पर केवल नील की खेती करने का दबाव बनाया था. अंग्रेजों ने किसानों पर ऐसा दबाव जाला कि सारे किसान बर्बाद हो गए थे.


बिहार के चंपारण में भी किसानों को अंग्रेजों ने नील की खेती करने के लिए विवश कर दिया था. नील की खेती नहीं करने पर किसानों को परेशान किया जाता था. नील की खेती करने वाले को इस मेहनत के बदले में कुछ भी नहीं मिलता था. अंग्रेजों की इस मनामनी हरकत से चंपारण के किसान परेशान हो गए थे. 


राजकुमार शुक्ल के कहने पर गांधी जी ने किया था चंपारण से आंदोलन


महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा सत्य के प्रयोग के 5वें भाग के बारहवें अध्याय नील का दाग में बहुत कुछ लिखा हैं. गांधी जी अपनी किताब में लिखते हैं कि लखनऊ कांग्रेस में जाने से पहले तक मैं चंपारण का नाम तक ना जानता था, नील की खेती होती है. इतना ही नहीं नील की खेती का ख्याल भी ना के बराबर था. महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा सत्य के प्रयोग में आगे लिखा है कि राजकुमार शुक्ल नाम के चंपारण के एक किसान ने वहां मेरा पीछा किया. वे मेरा पीछा करते जाते और मुझे अपने यहां आने का निमंत्रण देते जाते थे. गांधी जी खुद अपनी किताब मे बताते हैं कि उन्होंने राजकुमार शुक्ल के कहने पर चंपारण का दौरा किया, इसके बाद आंदोलन किया.


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महात्मा गांधी ने क्यों किया चंपारण से आंदोलन?
महात्मा गांधी ने 15 अप्रैल, 1917 को चंपारण की धरती पर अपना पहला कदम रखा था. चंपारण में उस समय अंग्रेजों ने व्यवस्था कर रखी थी कि हर बीघे में तीन कट्ठे जमीन पर नील की खेती किसानों को करनी पड़ेगी. किसानों को इस बेवजह की मेहनत के बदले में कुछ भी नहीं मिलता था. सबसे अहम बात ये कि किसानों पर 42 तरह के अजीब तरीके के कर लगाए गए थे. महात्मा गांधी ने इसको खत्म करने के लिए सत्यागह आंदोलन किया था. 


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