Motihari: बिहार के शिक्षा मंत्री जिस जिला के प्रभारी मंत्री है और जहां पर प्रत्येक सप्ताह शिक्षा विभाग के राज्य परियोजना निदेशक बी कार्तिकेय का दौरा होता है. वहां के शिक्षा विभाग अपने कारनामों को लेकर एक बार फिर से चर्चा में है. मोतिहारी के शिक्षा महकमे में सही काम होने में भले ही वक्त लगे पर, गलत काम गोली के रफ्तार से होता है. शिक्षा विभाग से जुड़े सर्व शिक्षा संभाग का एक ऐसा दिलचस्प मामला उजागर हुआ है, जिससे सर्व शिक्षा संभाग पर सवाल उठने लगा है. मामला तत्कालीन जेई राजेश कुमार से जुड़ा हुआ है. 


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दरअसल, जेई राजेश कुमार के गबन और घोटाले पर मोतिहारी के डीएम सौरभ जोरवाल ने मेहसी और चकिया प्रखंडों में जांच करने का आदेश करीब 6 महीने पहले दिया था, जो आज तक सर्व शिक्षा के अधिकारी नहीं कर सके है. जिला परिषद की अध्यक्षा ममता राय ने भी मेहसी और चकिया प्रखंड में हुए कंपोजिट ग्रांट के कार्य में हुए गबन की जांच कर रिपोर्ट तलब किया था, उसका भी आज तक जांच नहीं हुआ है.


इस बीच राज्य परियोजना निदेशक ने चकिया में कंपोजिट ग्रांट में हुए अनियमितता को पकड़ा और तत्कालीन जेई राजेश को सेवा मुक्त करने का मौखिक आदेश दिया था, जिसके बाद जेई राजेश को सेवा मुक्त कर दिया गया. अब वही जेई ने पटना में अपने सेवा वापसी के लिए अपील किया है पर अपने अपील में जेई ने अन्य कागजातों के साथ जो मेजरमेंट बुक जमा किया है, उसे देखने के बाद मोतिहारी का सर्व शिक्षा विभाग चर्चा और विवादों में आ गया है.



ध्यान दें कि डीपीओ एसएसए (SSA) हेमचन्द्र ने जांच के बाद अपने पत्रांक 1523 दिनांक 7-6-24 में लिखा है कि तत्कालीन जेई राजेश ने संवेदक के साथ बिना एग्रीमेन्ट किए और बिना मेजरमेंट बुक के ही भुगतान करवा दिया है जो की गबन है. डीपीओ ने अपने जांच में यह भी पाया था कि संवेदक के भुगतान में से एसडी मनी की कटौती भी जेई ने नहीं किया था. जेई के द्वारा अपने बचाव में समर्पित किए गए सभी कागजात बिहार शिक्षा परियोजना परिषद पटना से 29 तारीख को डीपीओ एसएसए (SSA) कार्यालय के मेल पर आया है, यानी जिस मेजरमेंट बुक के नहीं होने का दावा डीपीओ हेमचन्द्र ने अपने कारवाई में लिखा है. वहीं, मेजरमेंट बुक तत्कालीन जेई राजेश ने पटना से भेजवाया है.


इस बाबत जब हमने शिक्षा विभाग के डीपीओ हेमचन्द्र से सवाल किया कि आपके अनुसार मेजरमेंट बुक नहीं है और जेई राजेश के अनुसार मेजरमेंट बुक है, दोनों में सच क्या है? हमारे सवालों का जवाब देते हुए डीपीओ हेमचन्द्र ने कहा कि हमने जो लिखा है वही सही है. अब अगर कोई मेजरमेंट बुक पॉकेट में लेकर चले तो मैं क्या कर सकता हूं. हालांकि, डीपीओ का यह जवाब थोड़ा गोलमोल सा और जेई का बचाव करने वाला है जब हमने पूछा कि मेजरमेंट बुक इशू रजिस्टर में उक्त मेजरमेंट बुक का नंबर क्यों नही है? 


संवेदक के साथ बिना एग्रीमेन्ट का मेजरमेंट बुक हो सकता है क्या? मेजरमेंट बुक में डीएमटी (कार्यपालक अभियंता) का हस्ताक्षर नहीं है तो फिर क्या मेजरमेंट बुक सही हो सकता है? बिना एसडी मनी के कटौती के मेजरमेंट बुक होता है क्या? इतने गड़बड़ी के बाद भी क्या जेई द्वारा समर्पित उक्त मेजरमेंट बुक सही हो सकता है? तब डीपीओ ने कहा की मेजरमेंट बुक फर्जीवाड़ा में शामिल जेई और एई (हैदर) पर कारवाई की जाएगी. 


Report: Pankaj Kumar