गया: Pitru Paksha: अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल गया और बोधगया के होटल व्यवसाय के लिए पितृपक्ष मेला वरदान साबित हो रहा है. बताया जा रहा है कि होटल व गेस्ट हाउस पितृपक्ष के दौरान पूरी तरह भरे हैं, जिससे होटल व्यवसाय फिर से जीवित हो गया. 


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होटल व्यवसायियों का कहना है कि अंतराष्ट्रीय पर्यटक स्थल होने के बावजूद कोरोना काल में होटल व्यवसाय की हालत खराब हो गई थी. कई होटल और गेस्ट हाउस बंद होने के कगार पर पहुंच गए थे या बंद हो गए थे.


गया में जारी है पिंडदानियों के पहुंचने का सिलसिला
एक अनुमान के मुताबिक पितृपक्ष में अब तक पांच लाख से अधिक पिंडदानी मोक्षस्थली गया पहुंच चुके हैं, जबकि अभी भी चार दिन शेष हैं.


इस साल हालांकि प्रशासन द्वारा गांधी मैदान में तीन टेंट सिटी भी बनाए गए हैं. इसके आलावा कई धर्मशाला तथा पंडा समाज द्वारा उपलब्ध कराये गये आवास और सरकारी स्तर पर 65 शैक्षणिक संस्थानों में बनाये गये आवासन स्थल में भी आने वाले श्रद्धालु रह रहे हैं. इसके बावजूद भी होटल और रेस्ट हाउस के कमरे भरे हुए हैं.


होटल एसोसिएशन के पमपम चौरसिया कहते हैं कि पर्यटन सीजन आने में अभी देर है, उससे पहले पितृपक्ष में इस बार अच्छी कमाई हुई है. होटलों में विक्री भी बढ़ी है.


उधर, होटल एसोसिएशन, बोधगया के महासचिव संजय कुमार सिंह ने बताया कि पितृपक्ष मेले में आये पिंडदानियों को बोधगया के होटलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा मिल पा रही है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष 80 प्रतिशत से ज्यादा कमरे भरे हुए हैं.


हिन्दु धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है. अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को 'पितृपक्ष' या 'महालय पक्ष' कहा जाता है, जिसमें लोग अपने पुरखों का पिंडदान करते हैं. मान्यता है कि पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. ऐसे तो पिंडदान के लिए कई धार्मिक स्थान हैं परंतु सबसे उपयुक्त स्थल बिहार के गया को माना जाता है, इस कारण पितृपक्ष में यहां लाखों लोग पिंडदान और तर्पण के लिए आते हैं.


गया शहर में पितृपक्ष मेला से संबंधित 54 पिंडवेदी हैं. इसमें 45 पिंडवेदी एवं नौ तर्पणस्थल गया में स्थित हैं.


(आईएएनएस)