बोधगया: Mahabodhi Temple: बोधगया के वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल महाबोधि मंदिर में जगह-जगह दरार आने के बाद महाबोधि मंदिर पर संकट गहरा गया है. महाबोधि मंदिर के दीवारों पर आई दरार से मंदिर की देखरेख करने वाली बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमेटी पूरी तरह से बेखबर है. बता दें कि पांचवी शताब्दी में सम्राट अशोक द्वारा बनाया गया ये मंदिर बौद्ध भिक्षुओं व बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. इसी मंदिर के पीछे बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, पर रखरखाव में लापरवाही के कारण मंदिर का अस्तित्व संकट में आ गया है. इस मंदिर की दीवारों पर दर्जनों दरार दिख रही हैं.


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बता दें कि बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमेटी बीटीएमसी के जिम्मे महाबोधि मंदिर परिसर को देख रेख का जिम्मेवारी है लेकिन शायद इसकी जानकारी भी बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमेटी (बीटीएमसी) को नहीं है कि महाबोधि मंदिर में एक–दो नहीं बल्कि दर्जनों दरारें पड़ी है. मंदिर में छोटी छोटी भगवान बुद्ध कई प्रतिमाओं के समीप दरारें पड़ी है. वहीं दरार की वजह से मंदिर में लगे लोहे का छड़ दिख रहा है. बता दें कि मंदिर को 27 जून 2002 को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किया गया था. वहीं आज मंदिर में दरार पड़ने से वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल महाबोधि मंदिर खतरे में दिख रहा है. मंदिर के ऊपर 290 किलोग्राम का सोना का गुंबद थाईलैंड के श्रद्धालुओं के द्वारा लगाया गया था. गुंबद की चमक तो दिख रही है लेकिन मंदिर में दरारें पड़ गई है इसपर किसी की नजर नहीं गई है.


जानकारी के मुताबिक महाबोधि वृक्ष की देखभाल करने के लिए देहरादून के एफआरआई के कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा देखभाल किये जाने की बात कही जाती है. लेकिन महीनों से पड़ी दरारों को देखकर यही लगता है कि मंदिर और बोधि बृक्ष की देखरेख नहीं हो रही है. जानकारी के मुताबिक मंदिर में मरम्मती जैसे कार्यों को करने के लिए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को गाइड लाइन देना है पर एएसआई भी इस पौराणिक बौद्ध धर्म के मंदिर को सुरक्षित रखने के लिए तत्पर नहीं है.


इनपुट- विकास चौधरी


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