Kaimur: बिहार पुलिस शराब तस्करों के खिलाफ लगातार कार्रवाई में जुटी हुई है. शराबबंदी कानून को लेकर प्रशासन सख्ती से काम कर रहा है. शराब तस्करों को लेकर कैमूर जिले में उत्पाद विभाग की टीम ने हाल ही में 3 एएसआई के कमरे से 35 लीटर महंगी शराब बरामद की गई थी. जिसको लेकर बिहार सरकार के पूर्व खनन मंत्री बृजकिशोर बिंद ने शराबबंदी को लेकर सवाल खड़े किए है.  


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35 बोतलें की थी बरामद
दरअसल, बीते दिनों कैमूर जिले में उत्पाद विभाग की टीम ने तीन एएसआई को शराब के साथ गिरफ्तार किया है. तीनों एएसआई के कमरे से 35 महंगी शराब की बोतलें बरामद की गई थी. बताया जा रहा था कि अक्सर चेक पोस्ट पर जांच के दौरान शराब पकड़े जाने पर एएसआई शराब की संख्या में हेर फेर किया करते थे. शराब की ज्यादा बोतलों को कम दिखाकर अपने घर ले जाते थे. जिसके बाद तीनों एएसआई के खिलाफ सूचना मिलने पर उत्पाद विभाग की टीम ने कार्रवाई की. कार्रवाई करते हुए उनके कमरे में छापेमारी कर 35 बोतलें बरामद कर गिरफ्तार कर लिया. 


प्रशासन पर उठे सवाल
इस मामले के बाद से प्रशासन पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. जिसको लेकर बिहार सरकार के पूर्व खनन मंत्री बृजकिशोर बिंद ने भी शराबबंदी को लेकर अपनी बात सामने रखी है. पूर्व खनन मंत्री ने शराबबंदी को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि प्रशासन से लेकर सरकार की इसमें मिलीभगत है. जिसके कारण राज्य में अभी भी शराब बेची जा रही है. 


उन्होंने कहा कि बिहार की नई सरकार भरोसेमंद नहीं है. प्रशासन से लेकर सरकार तक सभी लोग शराब बेचने में संलिप्त हैं. उन्होंने आगे कहा कि सरकार इस कानून को पूरी तरह लागू करने में विफल रही है. इसमें खुद प्रशासन का भी हाथ है, अगर सख्ती से इस कानून को लागू करने की कोशिश की जाती तो शराब की तस्करी से लेकर शराब बेचने तक सब बंद हो जाता. जिन्हें भी इसकी जिम्मेदारी सौंपी हैं, इसमें उनकी मिलीभगत है. 


यूपी-झारखंड बॉर्डर से आती है शराब
खनन मंत्री का कहना है कि बराबर में यूपी और झारखंड का बॉर्डर है, शराब वहीं से आता है. शराब जंगल में तराई के किनारे भारी मात्रा में बनाई जाती है. पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से यह काम होता है. इस पर जल्द ही रोक लगनी चाहिए और इस प्रकार के भ्रष्ट पदाधिकारियों पर तुरंत कार्रवाई होना चाहिए. जिला पदाधिकारी और आरक्षी अधीक्षक से ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. अगर कार्रवाई नहीं करते हैं तो सभी नेता लगातार सदन में आवाज उठाते रहेंगे. उसके बाद भी सरकार नहीं सुनेगी तो सड़क से लेकर सदन तक जनता के बीच जाएंगे और आवाज को उठाते रहेंगे.


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