Gaya: बिहार में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के मामले पिछले कुछ दिनों से हर रोज 12 हजार से अधिक सामने आ रहे हैं. प्रदेश के दूसरे जिले की तरह गया (Gaya) में भी संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इस बीच. गया जिले के कोविड डेडिकेटेड अस्पताल से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है.


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गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज (Anugrah Narayan Magadh Medical College) अस्पताल की यह कहानी है. अस्पताल को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बनाया गया है और कोविड संक्रमित मरीजों को इसी अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है


दरअसल, गया के कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में कोविड जांच रिपोर्ट के इंतजार एक शख्स 2 दिन तक बाहर बैठा रहा. रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उसे कोविड वार्ड में भर्ती किया गया है. लेकिन, वार्ड में भर्ती मरीज ने जो कहा है, वह हैरान करने वाला है.


अस्पताल के बिल्डिंग के नीचे बाहर में कूड़ा फेंकने वाली जगह पर बैठे मरीज के परिजन से जब पूछा गया तो उसने जो जवाब दिया वह स्वास्थ्य व्यवस्था पर कई सवाल खड़ा करता है.


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मरीज के परिजन ने बताया कि मरीज का नाम गणेश साव है, जो शेरघाटी के मझौली गांव से यहां सांस लेने में परेशानी होने पर आया है. अस्पताल प्रशासन के द्वारा यह कहा गया कि RT PCR जांच रिपोर्ट के बाद ही उसे यहां भर्ती कराया जाएगा. जांच रिपोर्ट के इंतेजार में वह 2 दिनों तक इसी कूड़े व नालियों के किनारे बैठा रहा. 


इस दौरान मरीज सांस लेने के लिए जोर-जोर से हांफता रहा. सांस लेने में भारी परेशानी शुरू होने के दो दिन बाद जब RT PCR जांच में कोरोना संक्रमित रिपोर्ट आई, तब उसके बाद मरीज को कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया है.


इसके अलावा, अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती मरीज से जब बात करने की कोशिश की गई, तो एक मरीज ने कहा कि यहां कोई देखने वाला नहीं है. परिजन को अंदर आने से बाहर ही रोका जा रहा है. मरीज के बारे में परिजनों को फोन पर जानकारी दी जा रही है. 


यही वजह है कि अस्पताल के अंदर मरीज परेशान हैं, तो बाहर परिजन परेशान हैं. एक तरफ जहां गंभीर मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए काफी सारे लोग परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर अस्पताल में जिन्हें भर्ती किया गया है वह भी उतना ही परेशान नहीं हैं. 


इस अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा को लेकर भले ही गया प्रशासन बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हो लेकिन यहां भर्ती मरीज इस दावे की हकीकत बता रहे हैं. कोविड वार्ड में झारखंड के हंटरगंज से कोरोना संक्रमित मरीज भूषण कुमार 25 अप्रैल को भर्ती कराया गया था.


मरीज अस्पताल के बाहर रह रहे अपने परिजनों को फोन कर हर रोज की जानकारी दे रहे हैं. ऑक्सीजन तो लगा दिया गया है लेकिन खत्म होने पर उसे बदलने वाला कोई नहीं है. वार्ड में न डॉक्टर दिखते हैं और न ही कोई स्वास्थ्य कर्मचारी जिससे वह अपनी समस्या को बताएं. जब कुछ नहीं सुझा तो मरीज ने परिजन को इसकी जानकारी दी है कि शायद उनके परिजन किसी डॉक्टर को यह बताएं जिससे उसे बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके.


परिजनों को कोविड वार्ड तक आने की पाबंदी है. ऐसे में मरीज के साथ साथ परिजन भी परेशान हो रहे हैं. अब परिजन यह सोच में डूबे है कि आखिर करें तो क्या करें?


(इनपुट- जय प्रकाश कुमार)