कैमूर : कैमूर जिले के पवरा पहाड़ी पर स्थित मां मुंडेश्वरी धाम में बलि की अनोखी प्रथा है और यहां दी जानेवाली बलि की प्रक्रिया भी बेहद खास है. ऐसी बलि प्रथा पूरे विश्व में कहीं भी नहीं है. जहां लोग मां के सामने उनसे अराधना कर अपना संकल्प लेते हैं और बकरे चढ़ाने की बात कहते हैं. संकल्प पूरा होने पर लोग पुनः मां के दरबार मुंडेश्वरी धाम में आते हैं तब एक बकरे को साथ लेकर आते हैं और बकरे को स्नान कराकर फूल माला के साथ मां के चरणों में ले जाते हैं. 


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ऐसे पूर्ण होती है यहां बलि की प्रक्रिया 
जहां पुरोहित  के द्वारा बकरे को मां के समक्ष चरणों में लिटा दिया जाता है और फूल अक्षत मार के मां को अर्पित किया जाता है. जहां बकरा अचेत अवस्था में हो जाता है. पुनः पुरोहित के द्वारा मां रक्षा करो करके अक्षत बकरे पर मारा जाता है. तब बकरा लड़खड़ाता हुआ खड़ा हो जाता है. ऐसे में बकरे की बलि की प्रक्रिया पुर्ण की जाती है.


श्रद्धालु बोले बलि का ऐसा अनोखा तरीका नहीं देखा
सासाराम से पहुंचे राम नगीना सिंह बताते हैं 10 से 11 बार हम यहां मां के दरबार में आये हुए हैं. जहां मां सामने बकरा के अक्षत फूल मारकर के बलि चढ़ाया जाता है. ऐसी बली विश्व में कहीं नहीं देखी है और जहां बलि होती है जैसे रजरप्पा में वहां बकरे को काटा जाता है लेकिन यहां ऐसा नहीं होता है. 


यह एक अनोखा मंदिर है जो अष्टकोणीय है 
वहीं पुजारी उमेश मिश्रा बताते हैं मां मुंडेश्वरी के मंदिर के अंदर गर्भ गृह में चतुर्भुज शिवलिंग और शिव परिवार की प्रतिमा उपस्थित है. यहां मां मुंडेश्वरी की प्रतिमा है. यहां बलि प्रथा बहुत मशहूर है. जो लोग मन्नत मानते हैं कि मां मेरी मन्नत पूरी हो जाए तो बकरा चढ़ाएंगे, लेकिन यहां रक्तविहीन बलि दी जाती है. हिंसा नहीं की जाती है. यहां अहिंसक बलि दी जाती है. जिसे मां स्वीकार करती हैं, ऐसा बलि प्रक्रिया पूरे विश्व में नहीं होता है. जो यहां हमारे मां मुंडेश्वरी मन्दिर में होता है. 


(रिपोर्ट-मुकुल जायसवाल)


तंत्र मंत्र साधना के लिए बिहार ही नहीं बाहर के लोग भी आते हैं बखरी दुर्गा मंदिर
बेगूसराय जिले का बखरी दुर्गा मंदिर ना सिर्फ शक्ति पीठ के रूप में प्रसिद्ध है बल्कि यहां आज भी तंत्र-मंत्र साधना के लिए बिहार ही नहीं बाहर के कई राज्यों के लोग पंहुचते हैं. अष्टमी की संध्या से ही तंत्र-मंत्र साधक मंदिर परिसर में तंत्र साधना में लीन हो जाते हैं. इस दौरान महिला पुरुष और युवाओं के द्वारा यहां चाटी खेला जाता है. यह पंरपरा सैकड़ों साल से चली आ रही है. मान्यता है कि प्रसिद्ध तंत्र साधिका बहुरा मामा मां दुर्गा की बहुत बड़ी भक्त थी और तंत्र मंत्र साधना से मां दुर्गा की पूजा करती थी. इसलिए इस साधना के लिए आज भी लोग यहां पहुंचते हैं और कहा जाता है यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. सप्तमी को देवी जागरण के बाद तंत्र साधना के बाद लोग यहां से चले जाते हैं. 
(रिपोर्ट- राजीव कुमार)


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