बगहाः Bagaha News: बिहार के कई सरकारी विद्यालयों में अलग-अलग समस्याओं को तो आपको देखा और सुना ही होगा. सरकारी स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर सुधार के दावे किये जाते हैं. इसके बावजूद कई विद्यालयों में संसाधनों का अभाव देखने को मिलता है, लेकिन बिहार के पश्चिमी चंपारण जिला में एक ऐसा विद्यालय है. जहां बच्चों की पढ़ाई की शुरुआत उनके जन्मदिन की खुशियां मनाने के साथ होती है. हर रोज किसी न किसी छात्र का बर्थडे सेलिब्रेट किया जाता है, ताकि बस्ता और विद्यालय बच्चों को बोझ न लगे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल, बच्चों को पढ़ाई बोझ न लगे और वे आनंदमय वातावरण में बेहतर शिक्षा ग्रहण कर सकें. लिहाजा यह कॉन्सेप्ट खुद स्कूली बच्चों ने शिक्षकों को उनके बर्थडे पर विश कर किया है. यकीनन ऐसा आमतौर पर घरों में देखा जाता है जो शायद किसी निजी विद्यालय में भी नहीं होता होगा. लेकिन बगहा 2 प्रखंड मुख्यालय से तकरीबन 5 किलोमीटर दूर मंगलपुर औसानी स्थित बारीडोरी प्राथमिक विद्यालय की खूबसूरत तस्वीरें नजीर पेश कर रही हैं. जहां बच्चों को खुशी-खुशी शिक्षक उनके जन्मदिन मना कर पठन पाठन की ज्योत जला रहे है.  


विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक शैलेन्द्र ने बताया कि प्रतिदिन तीन से चार बच्चों का जन्मदिन पड़ता है और बच्चों के साथ सभी शिक्षक शिक्षिकाएं चेतना सत्र के उपरांत उन्हें खुशियां बांटते हैं. ऐसी धारणा छात्रों से गुरुजी को मिली. जब प्रधान शिक्षक शैलेन्द्र का जन्मदिन था, उसी दिन स्कूल के बच्चों ने उन्हें बर्थडे विश किया. उसके बाद बच्चों की यह अदा शिक्षकों को काफी पसंद आई और शिक्षिका निशा साहू और शैलेन्द्र कुमार ने इसे रोजमर्रा में शामिल कर इसका प्रयोग उन छात्रों पर करना शुरू कर दिया. ताकि शत प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कर बच्चे हंसते खेलते आनंदित होकर शिक्षा ग्रहण कर सकें.  


वहीं छात्र छात्राओं का कहना है कि वे घर पर पहले कभी जन्मदिन नहीं मनाते थे और ना ही उन्हें अपना जन्मदिन याद रहता था, लेकिन जबसे विद्यालय द्वारा सभी बच्चों का जन्मदिन मनाया जाने लगा है और उन्हें गिफ्ट भी दिए जाते है. बर्थडे सॉन्ग के साथ सभी बच्चे तालियां बजाकर जब बर्थडे विश करते हैं तो मन काफी खुश हो जाता है. यहां नहीं जन्मदिन के दिन शिक्षकों का आर्शीवाद भी उन्हें मिलता है जो की बहुत बड़ी बात है. 


ऐसा कहने में कोई दोहराए नहीं है कि बच्चों के मन से पढ़ाई का बोझ हल्का करने के उद्देश्य से शुरू की गई इस परंपरा से जहां बच्चों की उपस्थिति में इजाफा हुआ है. वहीं बच्चे शांत और खुशहाल माहौल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. लिहाजा बस्ता और विद्यालय छात्रों को बोझ न लगे. ऐसे में अन्य विद्यालयों को इससे सबक लेने की जरूरत है. 


कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं की बच्चों के मन से पढ़ाई का बोझ हल्का करने के उद्देश्य से शुरू की गई इस परंपरा से जहां बच्चों की उपस्थिति में इजाफा हुआ है वहीं बच्चे शांत और खुशहाल माहौल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं लिहाजा बस्ता और विद्यालय छात्रों को बोझ न लगे ऐसे में अन्य विद्यालयों को इससे सबक लेने की जरूरत है।


इनपुट- इमरान अजीज 


यह भी पढ़ें- Bagaha News: ठंड में कमी आते ही VTR से बाहर निकले वन्य जीव, लोगों में दिखने लगा जानवरों का डर