बक्सरः बिहार के बक्सर का ऐतिहासिक पंचकोशी मेला को लेकर मुनि विश्वामित्र के नगरी बक्सर में श्रधालुओ की भारी भीड़ जुट गई है. बक्सर के अलावा दूर दराज के क्षेत्रों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हुए है. 


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प्रसाद के रूप में बना लिट्टी-चोखा
मान्यता के अनुसार पहले श्रद्धालुओं ने बक्सर के रामरेखा घाट पर गंगा स्नान कर मंदिरों में पूजा अर्चना की. इसके बाद लोगों ने समूह बनाकर लिट्टी चोखा का आयोजन किया. इस दौरान गंगा का तटीय इलाका और बक्सर के किला मैदान में मेला जैसा नजारा दिखा. पूजा पाठ कर श्रद्धालु लिट्टी चोखा की तैयारी में लग गए. लिटी चोखा का प्रसाद बनाकर लोगों ने ग्रहण किया और बचे हुए प्रसाद को अपने घर ले गए.


पंचकोशी मेला का इतिहास काफी पुराना
सदियों से बक्सर की पावन धरती पर लगने वाले पंचकोशी मेला का इतिहास काफी पुराना है. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री राम जब विश्वामित्र नगरी पहुंचे तब उन्होंने पांच जगहों की यात्रा की. सबसे पहले बक्सर के अहिल्या धाम अहिरौली में माता अहिल्या का उद्धार कर श्रीराम ने पुआ खाकर इस आयोजन की शुरुआत की थी. 


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इस दौरान भगवान राम ने बक्सर के कुल पांच जगहों का भ्रमण किया और वहां जो कुछ खाया उस व्यंजन को लोग प्रसाद समझकर खाते है. पंचकोशी यात्रा के अंतिम पड़ाव में भगवन श्रीराम ने बक्सर में लिट्टी चोखा खाकर विदा लिया था. यह तब की बात है जब बक्सर का पौराणिक नाम व्याघ्रसर था. उस वक्त मुनि विश्वामित्र ने भगवान राम को वर्तमान बक्सर के आध्यात्मिक वैभव से अवगत कराया था. 


इनपुट- अजय कुमार 


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