Bihar News: सक्षमता परीक्षा पास करने पर भी 8,000 शिक्षकों को नहीं मिला राज्यकर्मी का दर्जा
बिहार के करीब 8,000 शिक्षकों को अब तक राज्यकर्मी का दर्जा नहीं मिल पाया है. आरोप है कि जिला शिक्षा अधिकारी और जिला प्रोग्राम अधिकारियों के कार्यालयों से छोटी छोटी गलतियों को आधार बनाकर शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने से रोका जा रहा है.
Bihar News: सक्षमता परीक्षा पास लगभग 8000 शिक्षक अब तक राज्यकर्मी नहीं बन पाए हैं. डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सहित कई तरह की समस्याएं उनके सामने आ रही है. नाम और आधार वेरिफिकेशन में समस्या के चलते उन्हें डाउटफुल बताया जा रहा है. ये शिक्षक पटना, भोजपुर, अरवल, सारण, मधेपुरा, सुपौल, बेगूसराय सहित 22 जिलों में कार्यरत हैं. आधार, नाम, जन्मतिथि, पिता का नाम, मोबाइल नंबर जिला स्तर पर विभागीय लापरवाही के कारण अपडेट नहीं हुआ है. शिक्षा विभाग ने 10,000 से अधिक शिक्षकों की गलतियों को अपडेट करने के लिए 29 अक्टूबर को ही जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया था पर केवल 2,000 शिक्षकों का मोबाइल नंबर, नाम, आधार संख्या ही अपडेट हुआ है. शिक्षकों के रिकॉर्ड के अपडेशन के ज्यादातर मामले जिला प्रोग्राम अफसर (डीपीओ) और जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) के यहां फंसे हुए हैं. 73 हजार शिक्षकों को अभी नियुक्ति पत्र नहीं मिला है.
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इस पर शिक्षक नेता अमित विक्रम ने सवाल खड़े किए हैं. शिक्षक नेता अमित विक्रम का कहना है, सक्षमता परीक्षा पास 4,000 से अधिक शिक्षकों को काउंसलिंग में विभिन्न कारणों से डाउटफुल बताकर उनकी जॉइनिंग रोकी गई. किसी के नाम की स्पेलिंग में मिस्टेक तो पिता के नाम की स्पेलिंग में मिस्टेक जैसे छोटी-छोटी वजहों से शिक्षकों को डाउटफुल बताकर परेशान किया जा रहा है.
अमित विक्रम ने कहा, विभिन्न जिलों के शिक्षा पदाधिकारी इन छोटी-छोटी समस्याओं को अपने स्तर से दूर नहीं कर रहे हैं. दूसरी ओर, शिक्षा विभाग का स्पष्ट आदेश है ऐसी समस्याओं को अपने स्तर से दूर करके सुधार किया जाए. प्रधान शिक्षक की भी काउंसलिंग में वही स्थिति देखने को मिल रहा है. डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में नाम के स्पेलिंग मिस्टेक को डाउटफुल बताकर रोका जा रहा है. आधार कार्ड का ओटीपी नहीं आ पा रहा है, इसलिए रोका जा रहा है.
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उन्होंने कहा, भागलपुर जिले में कैरक्टर सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है. अलग-अलग कारणों से डाउटफुल बताया जा रहा है, जिसका एकमात्र कारण जिला स्तर पर शिक्षकों का दोहन और शोषण करना है. जो निचले स्तर के कर्मचारी हैं, वह पैसे की उगाही करना चाहते हैं.