Jharkhand Assembly Election: गुमला विधानसभा सीट जो झारखंड के गुमला जिले में आती है अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इस सीट की कुल जनसंख्या 4,23,903 है, जिसमें 2,47,449 मतदाता शामिल हैं. इनमें 1,21,086 पुरुष और 1,26,363 महिला मतदाता हैं. साथ ही इस क्षेत्र में 1,110 वरिष्ठ मतदाता, 12,290 युवा वोटर और 2,776 दिव्यांग वोटर भी पंजीकृत हैं.


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सबसे अधिक चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार झारखंड राज्य के गठन के बाद से अब तक गुमला (एसटी) विधानसभा सीट पर चार बार चुनाव हुए हैं. इनमें से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने दो बार और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी दो बार जीत हासिल की है. इस सीट से सबसे अधिक बार विधायक चुने जाने वाले उम्मीदवार भूषण तिर्की हैं, जो यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं.


2019 में झामुमो की वापसी
वर्ष 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो ने गुमला (एसटी) विधानसभा सीट पर जीत हासिल की. झामुमो के उम्मीदवार भूषण तिर्की ने इस बार 67,416 वोट प्राप्त किए. उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के मिसिर कुजूर रहे, जिन्हें 59,749 वोट मिले. इस चुनाव में मतदान के दिन 3,266 लोगों ने NOTA का बटन दबाया था, जो कि एक महत्वपूर्ण संकेत था.


2014 में बीजेपी की लगातार जीत
2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव में गुमला (एसटी) विधानसभा सीट पर 14 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन दाखिल किया था, जिनमें 12 पुरुष और 2 महिलाएं थीं. इस चुनाव में बीजेपी के शिवशंकर उरांव ने 50,473 वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की. झामुमो के भूषण तिर्की को 46,441 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के विनोद किस्पोट्टा को 12,847 वोट प्राप्त हुए, जिससे कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही.


2009 में कमलेश उरांव की जीत
2009 के झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कमलेश उरांव ने अपनी पार्टी को जीत दिलाई. उन्हें इस चुनाव में कुल 39,555 वोट मिले. जेएमएम के भूषण तिर्की 27,468 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे और कांग्रेस के जॉय फ्रेड्रिक बाखला को 21,329 वोट मिले, जिससे कांग्रेस फिर से तीसरे स्थान पर रही.


2005 में झामुमो की पहली जीत
2005 के विधानसभा चुनाव में गुमला (एसटी) विधानसभा सीट पर कुल 26 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा. इस बार झामुमो के भूषण तिर्की ने 36,266 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की. बीजेपी के सुदर्शन भगत को 35,397 वोट मिले और वे दूसरे स्थान पर रहे. झारखंड पार्टी (झापा) के उम्मीदवार बरनबास हेम्ब्रम को केवल 4,079 वोट मिले.


सीट का महत्व
गुमला विधानसभा सीट का मुख्यालय गुमला जिले में होने के कारण यह सीट सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. यहां के लोग शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी विकास जैसे मुद्दों को लेकर काफी जागरूक हैं. ये मुद्दे चुनावों में प्रमुखता से उठते हैं और जनता के बीच चर्चा का विषय बनते हैं.


वर्चस्व
गुमला में बीजेपी, झामुमो और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होता है. जब झामुमो और कांग्रेस का गठबंधन बनता है, तो आमतौर पर ये दोनों दल बीजेपी को पछाड़ने में सफल होते हैं।.इससे यह स्पष्ट होता है कि गठबंधन की स्थिति में झामुमो को काफी बढ़त मिलती है.


कड़ी टक्कर
गुमला विधानसभा सीट पर चुनावी मुकाबला काफी कड़ा होता है. तीनों प्रमुख दलों के बीच यह मुकाबला बेहद प्रतिस्पर्धात्मक होता है. यहां के मतदाता राजनीतिक पार्टियों के वादों और उनके कार्यों के आधार पर मतदान करते हैं. इस क्षेत्र के विकास के मुद्दे और मतदाताओं की आवश्यकताएं चुनाव परिणामों पर काफी प्रभाव डालती हैं. साथ ही गुमला विधानसभा सीट पर होने वाले चुनाव न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि क्षेत्र की जनता के लिए कौन सी प्राथमिकताएं महत्वपूर्ण हैं. इससे यह भी स्पष्ट होता है कि कैसे राजनीतिक दल अपने चुनावी वादों को पूरा करने का प्रयास करते हैं. इस प्रकार, गुमला विधानसभा क्षेत्र में चुनावी माहौल हमेशा गतिशील और बदलता रहता है.


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