न बाजा, न बारात..., न ही मंगलसूत्र: फिर भी चर्चा में क्यों है कापूगांव की ये अजीब शादी?
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न बाजा, न बारात..., न ही मंगलसूत्र: फिर भी चर्चा में क्यों है कापूगांव की ये अजीब शादी?

Unique wedding: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक अनोखी शादी ने सभी का ध्यान खींच लिया है. इस शादी में दूल्हा-दुल्हन ने पारंपरिक रस्मों को छोड़कर संविधान की शपथ लेकर एक-दूसरे के साथ जीवनभर का साथ निभाने का वचन लिया. इस शादी में न तो सात फेरे हुए और न ही कोई ताम-झाम था. चलिए जानते हैं विस्तार से..

न बाजा, न बारात..., न ही मंगलसूत्र: फिर भी चर्चा में क्यों है कापूगांव की ये अजीब  शादी?

Chhattisgarh News: देश में शादियां पारंपरिक रस्मों-रिवाज के साथ होती थीं, जहां हर एक रिवाज का पालन किया जाता था. ये परंपराएं शादियों का हिस्सा बन चुकी थीं. लेकिन समय के साथ लोग अब शादियों को सिर्फ यादगार ही नहीं, बल्कि वायरल भी बनाना चाहते हैं. इसके लिए वेडिंग प्लानर को अच्छे-खासे पैसे दिए जाते हैं, ताकि शादी को शानदार और भव्य बनाया जा सके. हालांकि, कुछ लोग अपनी शादियों को बिना किसी ताम-झाम के भी अनोखा बना देते हैं, जैसे कि छत्तीसगढ़ में हुई यह शादी, जो बिना किसी फिजूलखर्ची के और पारंपरिक ढंग से अनोखी साबित हुई. 

इस शादी में न तो कोई परंपराएं निभाई गईं और न ही कोई पारंपरिक रस्में हुईं. न तो बैंड बजे, न ही पंडित ने मंत्र पढ़े और न ही दूल्हा-दुल्हन ने अग्नि के सामने सात फेरे लिए. यह शादी पूरी तरह से सरल और बिना किसी औपचारिकता के हुई, जिससे यह चर्चा का विषय बन गई. इस शादी ने परंपराओं और रीतियों के बीच के अंतर को दर्शाया.

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संविधान को हाथ में लेकर एक-दूसरे से जीवन भर साथ रहने की कसम खाई

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कापूगांव में एक अनोखी शादी हुई, जहां दूल्हा और दुल्हन ने परंपरागत तरीके से शादी नहीं की, बल्कि एक अलग ही तरीका अपनाया. इस शादी में न तो बैंड बजे, न ही पंडित जी ने मंत्र पढ़े. शादी के दौरान दूल्हा और दुल्हन ने बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की तस्वीर के सामने संविधान को हाथ में लेकर एक-दूसरे से जीवन भर साथ रहने की कसम खाई. इस मौके पर दोनों परिवारों और रिश्तेदारों ने तालियां बजाकर नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया. यह शादी अपनी सरलता और समानता के संदेश के लिए चर्चित हुई.

अनोखे तरीके से शादी

इस शादी के बाद दूल्हे ने अपनी दुल्हन से बातचीत की और अनोखे तरीके से शादी की सहमति ली. इसके बाद दोनों ने अपने परिजनों को इस निर्णय की जानकारी दी और परिजनों की सहमति से यह विवाह सम्पन्न हुआ. वैवाहिक बंधन में बंधने के बाद दूल्हे ने बताया कि उसका मुख्य उद्देश्य संविधान के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण को व्यक्त करना था, साथ ही वह फिजूलखर्ची से बचना चाहते थे. उन्होंने यह भी कहा कि इस नए तरीके को अपनाने का फैसला उन्होंने अपने परिवारवालों की मर्जी से लिया.

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 न तो मंत्रोच्चारण हुआ और न ही टेंट-तंबू

इस अनोखी शादी में न तो मंत्रोच्चारण हुआ और न ही टेंट-तंबू जैसी बेवजह की खर्चीली औपचारिकताएं हुईं. यहां तक कि सात फेरे या मंगलसूत्र की रस्म भी नहीं निभाई गई. इस सादगीपूर्ण शादी को देखकर गांव और समाज के लोग बहुत खुश हुए और उन्होंने इसे खूब सराहा. कई लोगों ने इस शादी का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जो अब खूब वायरल हो रहा है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह शादी 18 दिसंबर को हुई थी. इस शादी को देखकर बहुत से लोगों के विचार बदले हैं और अब क्षेत्र के लोग भी बिना किसी फिजूलखर्ची के शादी समारोह आयोजित करने पर विचार करने लगे हैं.

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