पटना:  बिहार की राजधानी पटना में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष के आवास पर मकर संक्रांति के मौके पर दही-चूड़ा का भोज हुआ. इस भोज में जेडीयू और बीजेपी के तमाम दिग्गज पहुंचे. लेकिन एक दिग्गज जो इस भोज में नहीं नजर आया वो हैं प्रशांत किशोर.


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प्रशांत किशोर का यूं भोज से नदारद रहना इस बात का संकेत है कि वो अपनी ही पार्टी में हाशिए पर चले गए हैं या फिर जेडीयू को उनका स्टैंड समझ में आ गया है. इसका कारण ये है कि दिल्ली में जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन तय माना जा रहा है और प्रशांत किशोर दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. इससे क्या ये कहना गलत होगा कि प्रशांत किशोर जेडीयू के लिए विलेन बनते जा रहे हैं.


बीजेपी के सांसद आरके सिन्हा पर प्रशांत किशोर पर बयान देते हुए कहा कि 50 साल के राजनीतिक करियर में मैंने ऐसा नहीं देखा है कि किसी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दूसरे प्रदेश में अपनी ही पार्टी को हराने के लिए कैंपेन चलाएं.


वहीं, बीजेपी के विधानपार्षद सच्चिदानंद राय ने कहा है कि दिल्ली की जेडीयू इकाई इस बात से हतप्रभ है कि प्रशांत किशोर किसके क्या है? प्रशांत किशोर जेडीयू के हैं या नहीं. 



पीके की रणनीति से एनडीए को नुकसान
प्रशांत किशोर दिल्ली में आप के लिए काम कर रहे हैं. जाहिर है प्रशांत किशोर की रणनीति से दिल्ली में सीधा नुकसान एनडीए को हो सकता है. अगर प्रशांत किशोर की रणनीति काम आती है तो उनकी स्थिति बीजेपी और जेडीयू में और भी बुरी हो सकती है क्योंकि पार्टी के कई नेता पहले ही उनके खिलाफ जा चुके हैं. 


पहले भी कर चुके हैं पार्टी लाइन से अलग बयानबाजी
प्रशांत किशोर ने 21 दिसंबर को ट्वीट कर कहा था देश के गैर बीजेपी सीएम NRC को ना कहें. वहीं, 23 दिसंबर को ट्वीट कर उन्होंने CAA और NRC के विरोध में शामिल होने पर राहुल गांधी को शुक्रिया कहा.



जा चुके हैं बीजेपी के खिलाफ
30 दिसंबर को प्रशांत किशोर ने एक ट्वीट कर बिहार में सियासी बवाल मचा दिया. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि जेडीयू के बिहार विधानसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में रहनी चाहिए और सुशील मोदी तक पर भी निशाना साधते हुए उन्हें परिस्थिति का डिप्टी सीएम कहा था. 



पीके के ट्वीट से हुआ डैमेज
प्रशांत किशोर के ट्वीट से एनडीए को कहीं ना कहीं ना नुकसान हुआ है. पीके के ट्वीट से ये मैसेज लोगों के बीच जरूर गया है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. कई नेता भी प्रशांत किशोर के खिलाफ बयानबाजी कर चुके हैं. 


प्रशांत किशोर से जेडीयू को नुकसान
प्रशांत किशोर के बयानों का सबसे अधिक नुकसान जेडीयू को झेलना पड़ रहा है. विरोधी भी यही मानते हैं कि प्रशांत किशोर जेडीयू के लिए सियासी कब्र तैयार कर रहे हैं. तेजस्वी यादव ने पीके पर बयान देते हुए कहा था कि वो कारोबारी शख्स हैं, उनके बारे में क्या कोई बोलेगा. वहीं, आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी यही कहा था कि वो जेडीयू की जमीन खोद रहे हैं. यह अंदरखाने की लड़ाई है.


प्रशांत किशोर भले ही जेडीयू के उपाध्यक्ष के साथ-साथ पॉलिटिकल स्ट्रैटेजिस्ट भी हैं लेकिन कहीं ना कहीं उनके बिजनस/काम की वजह से जेडीयू की ही सियासी जमीन खोखली हो रही है और इससे विरोधी पार्टियों को फायदा पहुंचा रहे हैं.