Manmohan Singh: उनके जवाब देने के तरीके ने सबको प्रभावित कर दिया था. उन्होंने लगभग समझाते हुए एक नेता का नाम लिया और कहा उन्होंने भारत की कहानी को समझा और भारत के साथ एक मजबूत ऊर्जा साझेदारी बनाने की दिशा में काम किया.
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Best Leader in World: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया. उनके जाने से न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया से शोक श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है. विश्वभर के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है. मनमोहन सिंह केवल भारत के लिए ही एक प्रभावशाली नेता नहीं थे, बल्कि वैश्विक मंच पर भी उनकी विशिष्ट पहचान थी. उनके ही नेतृत्व ने भारत को आर्थिक सुधार और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया था. बराक ओबामा ने उनके बारे में कहा था कि जब मनमोहन सिंह बोलते हैं तो पूरी दुनिया सुनती है. उनके बारे में एक और जोरदार किस्सा है कि उनसे जब पूछा गया कि दुनिया का सबसे बेस्ट नेता कौन है.. तो उनका जवाब सुनने लायक था.
दरअसल, मनमोहन सिंह से यह सवाल काफी साल पहले पूछा गया था. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में पंजाब के पूर्व वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल के हवाले से इस किस्से का जिक्र किया गया है. उनसे पूछा गया कि उन्होंने अपने जीवन में कई वैश्विक नेताओं से मुलाकात की, तो उनके अनुसार सबसे अच्छा नेता कौन है? उनका उत्तर एकदम सटीक था कि कौन सबसे अच्छा नेता है उतना महत्वपूर्ण नहीं है. सवाल यह होना चाहिए कि कौन भारत के लिए सबसे अच्छा है.
फिर खुद ही उन्होंने कहा कि इस मामले में मैं जॉर्ज बुश को सबसे ऊपर रखता हूं. उनके जवाब देने के इस तरीके ने सबको प्रभावित कर दिया था. उन्होंने लगभग समझाते हुए कहा कि दशकों तक अमेरिका ने भारत को संदेह की नजर से देखा. लेकिन बुश ने भारत की कहानी को समझा और भारत के साथ एक मजबूत ऊर्जा साझेदारी बनाने की दिशा में काम किया. उनके प्रयासों से भारत-अमेरिका परमाणु समझौता हुआ, जिसने न केवल कूटनीतिक संबंधों को मजबूती दी बल्कि अमेरिकी कंपनियों को भारत के प्रति विश्वास दिलाया.
यह बात सही भी है कि मनमोहन सिंह और अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के बीच की दोस्ती भी खास चर्चा का विषय रही. 2005 में हुए ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को दोनों नेताओं की परस्पर समझ और विश्वास का परिणाम माना गया. इस समझौते ने वैश्विक राजनीति में एक नई दिशा दी और भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाई प्रदान की. साथ ही मनमोहन और बुश की यह जुगलबंदी भारत के विकास के लिए मील का पत्थर साबित हुई.